नई दिल्ली20 मिनट पहले
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लोकसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तीन प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। एक बिल में मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग की गई है। वहीं दो अन्य बिल राज्यों के पुनर्गठन, कामकाजी लोगों के काम के घंटे और मानसिक सेहत से जुड़ा है।
थरूर ने मैरिटल रेप को लेकर कहा कि “शादी किसी भी तरह हिंसा का लाइसेंस नहीं है। पत्नी की सहमति हर स्थिति में जरूरी है।”

जबरन सेक्स हिंसा है, चाहे रिश्ता पति-पत्नी का ही क्यों न हो।
थरूर ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की उस धारा को हटाने की मांग की है, जिसमें यह अपवाद है कि यदि पत्नी 18 साल से ऊपर है तो पति का बिना सहमति सेक्स करना अपराध नहीं माना जाएगा। थरूर ने इसे “पुरानी और पितृ सत्तात्मक सोच” बताते हुए कहा कि यह कानून शादीशुदा महिलाओं के अधिकारों को कमजोर करता है।
शशि थरूर ने X पर लिखा “नहीं का मतलब नहीं ही होता है। शादी किसी महिला की आजादी या उसकी नहीं सुरक्षा छीन सकती। जबरन यौन संबंध हिंसा है, चाहे रिश्ता कोई भी हो।” सहमति किसी महिला के कपड़ों, उसके पेशे, जाति, या पिछली किसी भी बात के आधार पर मान लेना न सिर्फ गलत है, बल्कि उसके बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन भी है।

राज्यों के पुनर्गठन पर आयोग बने
थरूर ने दूसरा बिल राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के गठन और पुनर्गठन के लिए स्थायी आयोग बनाने को लेकर पेश किया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े और विविध देश में नए राज्यों की मांगें और सीमाओं के विवाद समय-समय पर उठते रहते हैं। इसलिए फैसले किसी राजनीतिक दबाव से नहीं, बल्कि डेटा, जनसंख्या, प्रशासनिक क्षमता, सांस्कृतिक पहचान और स्थानीय लोगों की इच्छा जैसे मानकों के आधार पर होने चाहिए।
यह आयोग इन पहलुओं पर अध्ययन करके सरकार को सुझाव देगा ताकि भविष्य में ऐसे फैसले ज्यादा पारदर्शी और टिकाऊ हो सकें।

काम के घंटे तय हों
थरूर का तीसरा बिल कामकाजी लोगों की बढ़ती थकान और तनाव पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि देश में आधे से ज्यादा कर्मचारी हफ्ते में 49 घंटे से अधिक काम करते हैं, और ज्यादातर युवा प्रोफेशनल्स मानसिक थकावट और अत्यधिक काम का दबाव का सामना कर रहे हैं।
बिल में ये सुझाव दिए गए हैं-
- काम के घंटों की एक तय सीमा हो
- कर्मचारियों को “डिस्कनेक्ट करने का अधिकार” मिले, यानी ऑफिस समय के बाद काम का दबाव न रहे
- मानसिक स्वास्थ्य सहायता और शिकायत निवारण प्रणाली मजबूत की जाए
थरूर ने कहा कि इससे कर्मचारियों की सेहत बेहतर होगी और कार्यस्थल का माहौल भी स्वस्थ बनेगा।
प्राइवेट मेंबर बिल क्या होता है?
जब कोई सांसद, जो मंत्री नहीं है, अपनी तरफ से नया कानून प्रस्तावित करता है या किसी कानून में बदलाव की मांग रखता है, उसे प्राइवेट मेंबर बिल कहा जाता है। जबकि सरकार की ओर से लाए गए बिल को सरकारी बिल कहा जाता है।
प्राइवेट मेंबर बिल कम ही पास होते हैं, लेकिन कई बार ये महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्वजनिक और संसदीय बहस की शुरुआत करते हैं और आगे चलकर कानूनों के निर्माण को दिशा देते हैं।
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