ढाका40 मिनट पहले
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लोगों ने कई जगहों पर पेड़ गिराकर हाईवे जाम कर दिया है। बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश हाईवे को साफ करा रहा है।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (78 साल) के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में विशेष ट्रिब्यूनल सोमवार को फैसला सुनाएगा। इससे पहले देश भर में हिंसा भड़क उठी है। सरकार ने हाई अलर्ट की घोषणा कर दी है।
कई जगहों पर गाड़ियों में आगजनी, धमाके, पथराव और सड़क जाम की घटनाएं हुई हैं। लोगों ने कई जगहों पर पेड़ गिराकर हाईवे जाम कर दिया है। बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश हाईवे को साफ करा रहा है। अंतरिम सरकार ने सेना और पुलिस के अलावा सीमा रक्षकों को भी तैनात किया है।
ढाका में पुलिस को हिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया है। शनिवार देर रात से रविवार तड़के तक ढाका में दो बसों को आग लगा दी गई। फैसले के बाद हिंसा और बढ़ने की आशंका को देखते हुए देशभर में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
अभियोजन ने हसीना के लिए मांगी मौत की सजा
बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और तत्कालीन आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर लगे पांच गंभीर आरोपों पर फैसला देगा। इन पर 2024 में छात्र आंदोलन के दौरान हत्या, हत्या के प्रयास, मानवता के खिलाफ अपराध शामिल हैं।
हसीना 5 अगस्त 2024 को सत्ता से बेदखल होने के बाद भारत में हैं। हसीना और कमाल को फरार घोषित कर ट्रायल किया गया, जबकि मामून सरकारी गवाह बन गए। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2023 में सुरक्षा कार्रवाई में 1,400 लोग मारे गए थे।
मुख्य अभियोजक ने हसीना को मास्टरमाइंड बताते हुए मौत की सजा की मांग की है। दूसरी ओर, हसीना के समर्थक इस मुकदमे को झूठा और राजनीतिक प्रतिशोध बता रहे हैं। 14 नवंबर को हसीना की अवामी लीग पार्टी के कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ भी झड़पें हुईं।
हसीना समर्थकों ने विरोध-प्रदर्शन तेज किए
विशेष ट्रिब्यूनल के फैसले से पहले शेख हसीना के समर्थकों के तेवर और तीखे हो गए हैं। उनकी मांग है कि हसीना के खिलाफ झूठे मामले वापस लिए जाएं। साथ ही फरवरी में चुनाव की तारीख का ऐलान किया जाए।
14 नवंबर सुबह ढाका में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास दो बम विस्फोट हुए। इससे पहले 13 नवंबर को हसीना के खिलाफ फैसले की तारीख के ऐलान से पहले अवामी लीग ने विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन किए थे।
इसके जवाब में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता ढाका के कई इलाकों में सड़कों पर उतर आए और कुछ जगहों पर जुलूस भी निकाले।

गुरुवार को ढाका के कई इलाकों में लोगों ने हाथों में मशाल लेकर जुलूस निकाली।
हसीना बोली- मेरे खिलाफ चल रहा मुकदमा झूठा तमाशा
हसीना ने पिछले साल के हिंसक विरोध प्रदर्शनों में सैकड़ों लोगों की हत्या और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। हसीना ने BBC को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उनके खिलाफ चल रहा मुकदमा झूठा तमाशा है।
उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी तानाशाही सरकार के खिलाफ छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए सुरक्षा बलों को निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 1,400 तक लोग मारे गए थे।
हसीना ने साफ इनकार किया कि उन्होंने कभी ऐसा आदेश नहीं दिया। कोर्ट में जुलाई 2024 का एक लीक ऑडियो सबूत पेश किया गया था, जिसमें हसीना हिंसा रोकने के लिए हथियारों के इस्तेमाल की बात कर रही थी।
हिंसा-आगजनी के बाद हुए शेख हसीना का तख्तापलट
घटना की शुरुआत 5 अगस्त 2024 को हुई, जब बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हो गया। इससे पहले और बाद में देशभर में भारी प्रदर्शन, आगजनी और हिंसा देखी गई।
सरकार पर आरोप लगे कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों को गिरफ्तार कर टॉर्चर किया गया और फायरिंग की गई। हिंसा बढ़ने के बाद शेख हसीना ने देश छोड़कर भारत में शरण ली।
इसके बाद बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया। उन्हें कोर्ट ने देश लौटकर केस में पेश होने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने यह आदेश नहीं माना।
ट्रिब्यूनल के सरकारी वकील गाजी मुनव्वर हुसैन तमीम ने कहा कि 13 नवंबर को सिर्फ फैसला सुनाने की तारीख बताई जाएगी, उस दिन सजा नहीं सुनाई जाएगी। आमतौर पर फैसला घोषित होने में करीब एक हफ्ता लगता है।

बांग्लादेश में चुनाव के दिन ही जनमत संग्रह होगा
बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने 13 नवंबर को जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह (रेफरेंडम) संसदीय चुनाव के दिन कराने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इसका मकसद देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना है।
यूनुस ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि जनमत संग्रह में जनता से जुलाई चार्टर को लागू करने के आदेश पर राय मांगी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके चार अलग-अलग हिस्से होंगे।
यूनुस ने कहा कि राजनीतिक दलों की अलग-अलग मांगों के बीच संतुलन बनाने के लिए 100 सदस्यीय ऊपरी सदन का गठन प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाएगा। यानी जिस पार्टी को जितने वोट मिलेंगे, उसी अनुपात में उसे सीटें दी जाएंगी।
उन्होंने बताया कि जुलाई चार्टर को प्रोसेस में लाने की तैयारी अंतिम चरण में है और सरकारी राजपत्र (गजट) की अधिसूचना का इंतजार है। सरकार ने 3 नवंबर को चेतावनी दी थी कि सभी पार्टियों को एक सप्ताह के भीतर मतभेद सुलझाने होंगे, नहीं तो सरकार जरूरी कदम उठाएगी। लेकिन इसके बावजूद दलों के बीच मतभेद बने हुए हैं।
जुलाई 2025 में, देश के राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों के बीच एक “जुलाई चार्टर” नाम का संविधान सुधार प्रस्ताव बना था। इसमें 4 अहम चीजें तय करने की कोशिश हुई थी।
- भविष्य में चुनाव कैसे होंगे
- सेना या न्यायपालिका की क्या भूमिका रहेगी
- भ्रष्टाचार और मानवाधिकार से जुड़ी नई नीतियां कैसी होंगी
- शेख हसीना पर लगे प्रतिबंध जारी रहेंगे या नहीं

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