गोरखपुर में कार्निया दान को लेकर जागरूकता की कमी गंभीर चिंता का विषय है। AIIMS और BRD मेडिकल कॉलेज में 1500 से ज्यादा मरीज आंखों की रोशनी के लिए कार्निया के इंतजार में हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों में सिर्फ 28 मरीजों को ही कार्निया उपलब्ध हो सका, वह भ
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गोरखपुर में कार्निया की जरूरत बढ़ी BRD मेडिकल कॉलेज और AIIMS, दोनों ही संस्थानों में 700-700 मरीज कार्निया का इंतजार कर रहे हैं। निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में मरीज पंजीकृत हैं। BRD मेडिकल कॉलेज में 2018 से आई बैंक और कार्निया प्रत्यारोपण की शुरुआत हुई, लेकिन अब तक केवल 18 कार्निया ही गोरखपुर, लखनऊ और प्रयागराज से मिले हैं।
वाराणसी बना उम्मीद का केंद्र BRD मेडिकल कॉलेज में अब तक 46 मरीजों का कार्निया प्रत्यारोपण हुआ है, जिसमें 28 कार्निया वाराणसी के लायंस क्लब से मिले। नेत्र रोग विभाग के प्रमुख प्रो. रामयश यादव ने बताया कि हाल ही में तीन मरीजों को वाराणसी से कार्निया लाकर प्रत्यारोपित किया गया। पिछले डेढ़ महीने में आठ मरीजों का प्रत्यारोपण हुआ है, जिनके लिए सभी कार्निया वाराणसी से ही उपलब्ध कराए गए।
नई रोशनी पाने वाले मरीज वाराणसी के लायंस क्लब की मदद से पिछले दो साल में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 28 मरीजों को कार्निया लगाया गया है। हाल ही में गुलरिहा की संगीता (31), देवरिया की बिंदावती (51), और संतकबीर नगर के आलोक कुमार राय (52) को सफल प्रत्यारोपण के बाद नई जिंदगी मिली है। प्रो. यादव ने बताया कि तीनों मरीजों को एक हफ्ते के भीतर ऑपरेशन के जरिए रोशनी दी गई।
सामाजिक संगठनों पर उठे सवाल गोरखपुर में 10,000 से अधिक सामाजिक संगठन मौजूद हैं, लेकिन कार्निया दान के क्षेत्र में उनकी भूमिका लगभग शून्य है। जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद दान में कमी दिखती है। क्या ये संगठन सिर्फ औपचारिकता तक सीमित हैं, या जरूरतमंदों की मदद करने में नाकाम साबित हो रहे हैं?
गोरखपुर में कार्निया दान को लेकर व्यापक प्रयास और सामाजिक सहभागिता की जरूरत है, ताकि अंधेरे में जी रहे मरीजों की जिंदगी में रोशनी लाई जा सके।