औरैया के फफूंद स्थित ख़ानक़ाह आस्ताना आलिया समदिया में चल रहे सूफी संत हाफ़िज़े बुख़ारी के 123वें सालाना उर्स का समापन रविवार को कुल शरीफ की फ़ातिहा के साथ हुआ। असर की नमाज़ के बाद शुरू हुए समापन कार्यक्रम में देशभर से आए हज़ारों जायरीन ने हिस्सा लिय
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तीन दिन तक जमी सूफी रंग की महफ़िलें तीन दिवसीय उर्स में दिन-रात सूफियाना महफ़िलें सजीं। तीसरे दिन ख़्वाजा बंदा नवाज़ सैयद शाह मिसबाहुल हसन चिश्ती की कुल शरीफ की महफ़िल हुई, जिसमें हज़ारों मुरीदों ने शिरकत की। मगरिब की नमाज़ के बाद लंगर का आयोजन हुआ और फिर महफ़िल-ए-समाअ ने सूफी संगीत की गूंज से माहौल को रूहानी बना दिया।
रातभर चली रस्मों के बाद सुबह चार बजे हज़रत हाफ़िज़े बुख़ारी सैयद शाह अब्दुस्समद चिश्ती की कुल शरीफ की फातिहा पढ़ी गई। इस मौके पर अकीदतमंदों ने दरगाह पर हाज़िरी देकर अपनी मुरादें मांगी और बारगाह-ए-इलाही में सर झुकाया।
नगर पंचायत ने की विशेष व्यवस्थाएं नगर पंचायत फफूंद ने उर्स के दौरान मेहमानों की सहूलियत के लिए विशेष इंतजाम किए। नारायण धाम गेस्ट हाउस और सामुदायिक केंद्र को मेहमानों के ठहरने के लिए उपलब्ध कराया गया। गलियों में सफाई, पानी, पोर्टेबल शौचालय, और सर्दी को देखते हुए जगह-जगह अलाव की व्यवस्था की गई। नगर पंचायत अध्यक्ष मोहम्मद अनवर कुरैशी और सभासदों ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और ज़रूरत पड़ने पर सुधार के निर्देश दिए।
सज्जादा नशीन ने अदा किया शुक्रिया ख़ानक़ाह के सज्जादा नशीन सैयद अख़्तर मियां चिश्ती ने उर्स के सफल आयोजन में सहयोग देने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने नगर पंचायत, पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन को भी मुबारकबाद दी।
रूहानी जुड़ाव का अहसास 123वें उर्स में हज़ारों जायरीन ने भाग लेकर न केवल दरगाह पर फातिहा पढ़ी बल्कि सूफी संत की तालीमात को समझने और अपनाने का संकल्प भी लिया। उर्स ने अकीदतमंदों के दिलों में आध्यात्मिक शांति और जुड़ाव का एक नया पैग़ाम दिया।