Close competition in Ranchi area | रांची एरिया में कांटे की टक्कर: पिछली बार INDIA ने मारी थी बाजी, अबकी बार सीपी सिंह से लेकर सुदेश महतो तक की फंसी सीट – Ranchi News

दक्षिण छोटानागपुर यानी रांची एरिया में अबकी बार NDA और INDIA ब्लॉक में कांटे की टक्कर है। 2019 में इस इलाके में NDA छिटक गया था, जिसका फायदा तब JMM-कांग्रेस और राजद गठबंधन ने उठाया और 15 में से 9 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इस बार NDA इंटेक्ट ह

.

आजसू पार्टी फिर से NDA में है। बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (JVM) का भाजपा में विलय हो गया है। JDU और लोजपा (रामविलास) भी साथ है।

दोनों गठबंधन फिलहाल बराबरी पर दिख रहे हैं। 19-20 का ही फर्क है। इसके बावजूद अगर किसी गठबंधन के पक्ष में स्विंग हो गया तो परिणाम बदल सकते हैं। वहीं, इस एरिया में पांच दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। जानिए, उनकी सीट का हाल…

रांचीः 34 वर्ष से भाजपा काबिज, घट रही मार्जिन

क्षेत्रफल के हिसाब से रांची विधानसभा सीट झारखंड का सबसे छोटा विस क्षेत्र है। राजधानी का यह एक विशेष हिस्सा है, जहां केवल शहरी वोटर हैं। 2019 में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी। पिछले 34 साल से रांची पर भाजपा का कब्जा है। लेकिन, अब तक जीत का अंदर घट रहा है।

2019 के चुनाव में भाजपा को यहां 79,522 वोट मिले थे। झामुमो की डॉ. महुआ माजी ने 73,569 वोट हासिल किया था। इस बार भी दोनों आमने-सामने हैं। भाजपा के लिए यहां चिंता की बात यही है कि पहले तो उसकी जीत का अंतर बड़ा होता था, पर अब यह सिकुड़ते जा रहा है। 2014 में इस सीट पर भाजपा व झामुमो के बीच वोट का अंतर 58,863 था, जबकि 2019 में यह अंतर 5,904 वोटों का रह गया था

1990 में भाजपा के गुलशन लाल आजमानी ने यहां जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1995 में भाजपा के टिकट पर यशवंत सिन्हा विधायक चुने गए। यशवंत ने बीच में ही इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए उपचुनाव में सीपी सिंह पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। इसके बाद से उनका कब्जा बरकरार है।

खूंटीः खूंटा गाड़कर खड़े हैं नीलकंठ मुंडा

झारखंड गठन के बाद से ही भाजपा के नीलकंठ सिंह खूंटी से विधायक हैं। भाजपा ने लगातार छठी बार उनपर भरोसा जताया है। 2019 के चुनाव में उन्होंने झामुमो के सुशील पाहन को 26,327 मतों से हराया था। इस बार झामुमो ने राम सूर्य मुंडा को मौका दिया है।

नीलकंठ मंत्री और विधायक रहते क्षेत्र में हुए विकास कार्य की याद दिला रहे हैं। पर, उनके लिए परेशानी की बात है कि जहां अब तक विकास की किरण नहीं पहुंची हैं, वहां एंटी इनकंबेंसी की बातें भी हो रही है।

नीलकंठ के बड़े भाई कालीचरण मुंडा खूंटी से सांसद हैं। ऐसे में इंडिया के कार्यकर्ता लोगों को समझाने में जुटे हैं कि एक ही परिवार से सांसद -विधायक क्षेत्र के लिए ठीक नहीं है।

नीलकंठ के सामने झामुमो ने राम सूर्य मुंडा को उतारा है। यह पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। झामुमो ने नामांकन का समय खत्म होने के दो दिन पहले प्रत्याशी स्नेहलता कंडुलना को बदलकर राम सूर्य को उतारा है। इस कारण उन्हें और झामुमो को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। स्नेहलता कंडुलना की शादी गैर आदिवासी साहू परिवार में हुई है। इस कारण झामुमो ने टिकट वापस ले लिया।

खूंटी में सबसे प्रभावशाली मुंडा समुदाय है। हालांकि ईसाई मतदाता भी बड़ी संख्या में है। दलित और ओबीसी की संख्या तुलनात्मक रूप से क्षेत्र में कम है।

सिल्ली : एनडीए से उतरे सुदेश, झामुमो के अमित से मुकाबला

सिल्ली विधानसभा सीट पर चुनावी रण काफी दिलचस्प है। आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो इस बार एनडीए फोल्डर से चुनाव लड़ रहे हैं। सुदेश ने 2019 में झामुमो की सीमा देवी को 20,195 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। झामुमो ने इस बार अमित महतो को उम्मीदवार बनाया है। 2019 में भाजपा ने सुदेश के खिलाफ उम्मीदवार नहीं दिया था। इस बार जयराम महतो की पार्टी के उम्मीदवार देवेंद्र महतो भी मैदान में हैं। चुनाव रोचक हो गया है।

तमाड़ : NDA से उतरे राजा पीटर, झामुमो के विकास को देंगे चुनौती तमाड़ सीट हॉट सीटों में एक है। यहां चुनावी स्थिति दिलचस्प है। एनडीए से जदयू के टिकट पर पूर्व मंत्री राजा पीटर और झामुमो विधायक विकास सिंह मुंडा आमने-सामने हैं। मुंडा ने 2019 में आजसू के राम दुर्लाव सिंह मुंडा को 30,971 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। भाजपा का शहरी व झामुमो का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभाव है। आदिवासी वोट का एक बड़ा हिस्सा झामुमो को जाता है, जबकि भाजपा इसे लुभाने का प्रयास करती है।

CM रहते चुनाव हार गए थे शिबू सोरेन

पूर्व मंत्री राजा पीटर उर्फ़ गोपाल कृष्ण पातर 2009 में शिबू सोरेन को तमाड़ विधानसभा सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में हराकर पहली बार चर्चा में आए थे। इसके बाद शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 2009 में भी झारखंड विधानसभा चुनाव में पीटर ने जदयू के टिकट पर ही चुनाव जीता था। वह झारखंड सरकार में 2010 में उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री भी रहे।

लोहरदगा में दांव पर कांग्रेस और आजसू की प्रतिष्ठा लोहरदगा सीट से कांग्रेस ने मंत्री और विधायक डॉ. रामेश्वर उरांव पर ही एक बार फिर भरोसा जताया है। वहीं, आजसू ने पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को टिकट दिया है। इस सीट से कुल 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। झारखंड की हाई प्रोफाइल सीट लोहरदगा विधानसभा सीट में इस बार कांग्रेस और आजसू के बीच मुकाबला है।

लोहरदगा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। राज्य गठन के बाद इस सीट पर अब तक हुए चुनाव में दो बार आजसू, और तीन बार कांग्रेस चुनाव जीती है। कांग्रेस ने उरांव पर ही भरोसा जताया है। पहले कहा जा रहा था कि उनकी बेटी को टिकट दिया जा सकता है।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *