ढाका25 मिनट पहले
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बांग्लादेश की राजधानी ढाका से 40 किमी दूर टोंगी कस्बे में इज्तिमा के आयोजन को लेकर मंगलवार को मौलानाओं के दो गुटों में हंगामा हो गया। इस हंगामे में भारत के मौलाना साद और बांग्लादेश के मौलाना जुबैर के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई। मारपीट में 4 लोगों की मौत हो गई है, इसके अलावा सौ से ज्यादा लोग घायल हैं।
पुलिस के मुताबिक दोनों पक्षों ने 7 लोगों की मौत का दावा किया है। प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर सेना को तैनात कर दिया है। टोंगी में झड़प के बाद घायलों को ढाका के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां एक बार फिर दोनों गुटों में भिडंत हो गई।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में गृहमंत्री मोहम्मद जहांगीर आलम ने कहा कि 4 लोगों की मौत का केस दर्ज कर लिया गया है।
जहांगीर आलम ने कहा कि आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।
मैदान के कब्जे को लेकर हुई झड़प
बांग्लादेश पुलिस के मुताबिक मौलाना साद के समर्थक (सादपंथी) शुक्रवार, 20 दिसंबर से टोंगी मैदान में 5 दिवसीय इज्तिमा आयोजित करना चाहते हैं। मौलाना जुबैर के समर्थक उन्हें यहां इज्तिमा नहीं करने देना चाहते। इसके चलते जुबैर के समर्थकों ने पहले से ही इज्तिमा मैदान पर कब्जा कर लिया।
मंगलवार सुबह करीब 3:30 बजे मौलाना साद के समर्थक मैदान में पहुंच गए थे। इसके बाद झड़प शुरू हो गई। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से जुबैर समर्थक दो चरणों में होने वाले टोंगेी इज्तिमा को एक चरण में करने की मांग कर रहे हैं।
जुबैर समर्थकों का आरोप है कि हसीना की पार्टी ने मुस्लमानों को बांटने के लिए इज्तिमा को दो चरणों में शुरू किया था। दूसरी और जुबैर समर्थकों ने मौलाना साद के समर्थकों पर भारत के एजेंट होने का आरोप लगाया है। अक्टूबर से साद के समर्थकों के खिलाफ रैलियां करना शुरू कर दिया था।
वहीं साद समर्थकों ने प्रशासन पर जुबैर समर्थकों की मदद करने का आरोप लगाया है।
कौन है मौलाना साद
मौलाना मोहम्मद साद कंधलवी एक भारतीय मुस्लिम स्कॉलर और प्रचारक हैं। वे तबलीगी जमात के संस्थापक मोहम्मद इलियास कंधलवी के परपोते हैं। मौलाना साद तबलीगी जमात के निजामुद्दीन धड़े के प्रमुख हैं।
मौलाना साद को 2017 में आल इंडिया और टोंगी इज्तिमा (बांग्लादेश) का प्रमुख चुना गया था। इसके बाद से मौलाना साद और जुबैर के पक्षों में विवाद शुरू हो गया था। टोंगी में 2011 से इज्तिमा दो चरणों में होता है। पहले मौलाना जुबैर के समर्थक और बाद में मौलाना साद के समर्थक इज्तिमा का आयोजन करते हैं।
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