Claim that there is no ban on Indian spices in Hong Kong and Singapore | हॉन्गकॉन्ग-सिंगापुर में भारतीय मसालों पर बैन नहीं होने का दावा: MDH के सभी सैंपल मानक के अनुसार, एवरेस्ट के कुछ नमूनों में कीटनाशक ज्यादा

नई दिल्ली11 मिनट पहले

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भारत सरकार के सूत्रों ने दावा किया है कि सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में किसी भारतीय मसालों पर बैन नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा गया है कि पॉपुलर मसाला ब्रांड्स MDH और एवरेस्ट के प्रोडक्ट्स के सिर्फ कुछ बैच को रिजेक्ट किया गया था।

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार ने इन दोनों कंपनियों के सैंपल की जांच की है। इसमें MDH के सभी 18 सैंपल मानकों के अनुसार पाया गए। हालांकि, एवरेस्ट के 12 में से कुछ सैंपल में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा थी।

केंद्र सरकार ने एवरेस्ट को अपने प्रोडक्ट्स में सुधार करने के निर्देश दिए हैं। कंपनी को एक ई-मेल भी भेजा गया है, जिसका जवाब अभी नहीं मिला है। इसके अलावा मसाला बनाने वाली दोनों कंपनियों को प्रोडक्ट्स बनाने, उसकी पैकेजिंग, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

प्रोडक्ट्स अपनी सही जगह पर ठीक तरीके से पहुंचे, इसके लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा, मसाला बोर्ड ने सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग जाने वाले प्रोडक्ट्स में एथिलीन ऑक्साइड की जांच के लिए प्री-शिपमेंट सैंपलिंग और टेस्टिंग अनिवार्य कर दिया है।

अप्रैल में सिंगापुर-हॉन्गकॉन्ग ने मसालों पर बैन की खबर आई थी

सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में अप्रैल महीने में MDH और एवरेस्ट के कुछ मसालों में पेस्टिसाइड एथिलीन ऑक्साइड की लिमिट से ज्यादा मात्रा होने का दावा किया गया था। इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि दोनों देशों में MDH और एवरेस्ट कंपनियों के कुछ प्रोडक्ट्स को बैन किया गया है।

हॉन्गकॉन्ग के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने कहा था कि MDH ग्रुप के तीन मसाला मिक्स- मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है। एवरेस्ट के फिश करी मसाला में भी यह कार्सिनोजेनिक पेस्टिसाइड पाया गया है। एथिलीन ऑक्साइड की ज्यादा मात्रा से कैंसर होने का खतरा है।

मसाले में क्यों करते हैं कीटनाशकों का इस्तेमाल?
मसाला बनाने वाली कंपनियां एथिलीन ऑक्साइड सहित अन्य कीटनाशकों का उपयोग ई. कोली और साल्मोनेला जैसे बैक्टीरिया और फंगस से फूड आइटम्स को खराब होने से बचाने के लिए करती हैं, क्योंकि इन बैक्टीरिया के संपर्क में आने से मसालों की शेल्फ लाइफ बहुत छोटी हो सकती है।

इन्हें लंबे समय तक खराब होने से बचाने पर रोक के बावजूद ये कंपनियां कीटनाशकों को प्रिजर्वेटिव या स्टेरलाइजिंग एजेंट की तरह इस्तेमाल कर रही हैं।

भारतीय मसालों का रिजेक्शन रेट बेहद कम- वाणिज्य मंत्रालय
15 मई को वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय मसालों का रिजेक्शन रेट बेहद कम है। वहीं, निर्यात सैंपल की विफलता भी कम है। मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा था- हमारी ओर से प्रमुख देशों को निर्यात किए गए मसालों की कुल मात्रा के मुकाबले अस्वीकृति दर 1% से भी कम है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय रिकॉल और अस्वीकृति आंकड़ों पर नजर रखता है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा था कि वित्त वर्ष 24 में भारत ने लगभग 14.15 मिलियन टन मसालों का निर्यात किया, जिसमें से केवल 200 किलोग्राम के मसाले की एक छोटी मात्रा को ही वापस मंगाया गया।

वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 32,000 करोड़ के मसालों का एक्सपोर्ट किया
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने करीब 32,000 करोड़ रुपए के मसालों का एक्सपोर्ट किया। मिर्च, जीरा, हल्दी, करी पाउडर और इलायची एक्सपोर्ट किए जाने वाले प्रमुख मसाले हैं।

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