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नई दिल्ली4 घंटे पहले
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CJI बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की यह तस्वीर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड की है।
जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति भवन में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में ब्राजील समेत दुनिया के सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल होंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब किसी CJI के शपथ ग्रहण में इतनी बड़ी संख्या में दूसरे देशों के न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी होगी।
समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के चीफ जस्टिस उनके साथ आए परिवार के सदस्य शामिल होंगे।
मौजूदा CJI गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हो रहा है। अगले CJI जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।

CJI सूर्यकांत के शपथ ग्रहण में पूरा कुनबा शामिल होगा
CJI पद के शपथ ग्रहण के लिए राष्ट्रपति भवन में इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण पत्र बनकर तैयार हो गए हैं। जस्टिस सूर्यकांत का पूरा परिवार हिसार के पेटवाड़ गांव में रहता है। उनके बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत गांव में परिवार के साथ रहते हैं, वहीं एक भाई हिसार शहर में और तीसरा भाई दिल्ली में रहता है।
सूर्यकांत के अलावा, उनके तीनों भाइयों – ऋषिकांत, शिवकांत और देवकांत को भी कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता मिला है। बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत ने बताया कि पूरा परिवार एक दिन पहले दिल्ली रवाना होगा और हरियाणा भवन में ठहरेगा।
जस्टिस सूर्यकांत के परिवार में पत्नी और 2 बेटियां

सूर्यकांत के बड़े भाई देवकांत ने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत हैं और वह कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं। वह इंग्लिश की प्रोफेसर रही हैं। उनकी 2 बेटियां हैं- मुग्धा और कनुप्रिया। दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं।
जस्टिस सूर्यकांत के यादगार फैसले
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत कई कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है।
- पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की फुल बेंच का हिस्सा थे जिसने 2017 में बलात्कार के मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को लेकर जेल में हुई हिंसा के बाद डेरा सच्चा सौदा को पूरी तरह से साफ करने का आदेश दिया था।
- जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच का हिस्सा थे जिसने कॉलोनियल एरा के राजद्रोह कानून को स्थगित रखा था। साथ ही निर्देश दिया था कि सरकार की समीक्षा तक इसके तहत कोई नई FIR दर्ज न की जाए।
- सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत समस्त बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने का निर्देश देने का श्रेय भी जस्टिस सूर्यकांत को दिया जाता है।
- जस्टिस सूर्यकांत सात जजों की बेंच में शामिल थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फैसले को खारिज कर दिया था। यूनिवर्सिटी के संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था।
- वे पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली बेंच का हिस्सा थे, जिसने गैरकानूनी निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट का एक पैनल बनाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में खुली छूट नहीं मिल सकती।
बिहार SIR मामले की सुनवाई भी की
जस्टिस सूर्यकांत ने बिहार में SIR से जुड़े मामले की सुनवाई भी की। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को रेखांकित करने वाले एक आदेश में जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर किए गए 65 लाख नामों की डीटेल सार्वजनिक की जाए।
