CJI BR gavai Interpretation of law Constitution has to be pragmatic | CJI बोले- जज बनना 10 से 5 की नौकरी नहीं: ये समाज और राष्ट्र की सेवा का मौका; कानून-संविधान की व्याख्या व्यावहारिक हो

मुंबई1 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
बॉम्बे हाईकोर्ट में सीजेआई बीआर गवई को सम्मानित किया गया। - Dainik Bhaskar

बॉम्बे हाईकोर्ट में सीजेआई बीआर गवई को सम्मानित किया गया।

भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने कहा कि जज बनना 10 से 5 की नौकरी नहीं है, यह समाज की सेवा और राष्ट्र की सेवा करने का अवसर है। उनका ये बयान जजों के असभ्य व्यवहार की शिकायतों पर आया।

उन्होंने कहा कि जजों को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे इस प्रतिष्ठित संस्थान पर आंच आए। क्योंकि इसकी प्रतिष्ठा कई पीढ़ियों के वकीलों-जजों की निष्ठा और समर्पण से बनी है।

CJI ने कहा कि जजों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने विवेक, पद की शपथ और कानून के मुताबिक काम करें। उन्हें केस का फैसला होने पर विचलित नहीं होना चाहिए। जज अपनी शपथ-प्रतिबद्धता के लिए सच्चे रहें।

सीजेआई गवई ने कहा कि कानून या संविधान की व्याख्या व्यावहारिक होनी चाहिए। ये समाज की जरूरत और वर्तमान पीढ़ी की परेशानियों के मुताबिक हो। सीजेआई शनिवार को मुंबई पहुंचे थे। यहां बॉम्बे हाईकोर्ट में उनके सम्मान में कार्यक्रम रखा गया था।

जजों की नियुक्ति पर क्यो बोले CJI? जजों की नियुक्ति पर CJI ने कहा कि किसी भी कीमत पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट में नियुक्तियों के दौरान कॉलेजियम तय करता है कि विविधता,समावेशिता के साथ-साथ योग्यता भी बनी रहे।

बॉम्बे हाईकोर्ट की सराहना करते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि मैंने यहां एक वकील और फिर जज के तौर पर काम सेवाएं दीं। जब लोग मेरे फैसलों की सराहना करते हैं तो गर्व महसूस होता है।

CJI बीआर गवई को नागपुर जिला कोर्ट बार एसोसिएशन ने सम्मानित किया।

CJI बीआर गवई को नागपुर जिला कोर्ट बार एसोसिएशन ने सम्मानित किया।

27 जून: CJI ने कहा था- अधिकारों की रक्षा के लिए अदालतों की सक्रियता जरूरी

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा था कि संविधान और नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए न्यायिक सक्रियता जरूरी है। यह बनी रहेगी, लेकिन इसे न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदला जा सकता।

उन्होंने कहा था कि भारतीय लोकतंत्र के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को उनकी सीमाएं दी गई हैं। तीनों को कानून के अनुसार काम करना होगा। जब संसद कानून या नियम से परे जाती है, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप कर सकती है। पूरी खबर पढ़ें…

25 जून: संसद नहीं, संविधान सबसे ऊपर, लोकतंत्र के तीनों हिस्से इसके अधीन

CJI गवई ने कहा Le कि भारत का संविधान सबसे ऊपर है। हमारे लोकतंत्र के तीनों अंग (न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका) संविधान के अधीन काम करते हैं। CJI गवई ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरी राय में संविधान सर्वोपरि है। CJI गवई ने कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को बदल नहीं सकती। पढ़ें पूरी खबर

……………………. CJI गवई से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

जस्टिस गवई का राजनीति में एंट्री से इनकार: बोले- रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लूंगा, देश खतरे में हो तो SC अलग नहीं रह सकता

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने रिटायर होने के बाद पॉलिटिक्स में एंट्री लेने से इनकार किया। उन्होंने कहा- CJI के पद पर रहने के बाद व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने ये बात कही थी। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *