नई दिल्ली/ इस्लामाबाद2 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

तस्वीर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की है। चीन अरुणाचल प्रदेश को साउथ तिब्बत कहता है और इसका नाम जांगनान बताता है।
चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश की 30 जगहों के नाम बदले हैं। इसकी जानकारी अपनी सरकारी वेबसाइट ग्लोबल टाइम्स पर जारी भी की है। इन जगहों के नाम मंदारिन (चीनी भाषा) में रखे गए हैं।
चीन ने अरुणाचल को लेकर अपना प्रोपेगैंडा वॉर भी फिर छेड़ दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा- नाम बदली की ये चीन की हरकत मूर्खतापूर्ण है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। चीन ने नाम बदलने में रचनात्मकता दिखाई है, लेकिन अरुणाचल भारत का अखंड हिस्सा है।
चीन अरुणाचल प्रदेश में अपना दावा जताने की कोशिश में इसके शहरों, गांवों, नदियों आदि के नाम बदलता रहा है। इसके लिए वह चीनी, तिब्बती और पिनयिन नाम देता है, लेकिन जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का रुतबा बढ़ रहा होता है ठीक उसी समय चीन की यह हरकत सामने आती है।
आखिरी बार जब भारत ने G-20 शिखर सम्मेलन के समय एक बैठक अरुणाचल में की थी तब भी चीन ने इस क्षेत्र में कुछ नाम बदलने की घोषणा की थी। इससे पहले 2017 में दलाई लामा जब अरुणाचल आए थे तब भी नाम बदलने की हरकत की थी।

2024 में भी 20 जगहों के नाम बदले थे
चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर 30 जगहों के नाम बदले थे। चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने इसकी जानकारी दी थी। हांगकांग मीडिया हाउस साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इनमें से 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ते थे।
इन नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया गया था। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।
नाम बदलने के पीछे चीन का क्या दावा है…
चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी है। वो अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है। चीन अरुणाचल के इलाकों के नाम क्यों बदलता है इसका अंदाजा वहां के एक रिसर्चर के बयान से लगाया जा सकता है।
2015 में चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर झांग योंगपान ने ग्लोबल टाइम्स को कहा था, ‘जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई सौ सालों से हैं। चीन का इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल जायज है। पुराने समय में जांगनान ( चीन में अरुणाचल को दिया नाम) के इलाकों के नाम केंद्रीय या स्थानीय सरकारें ही रखती थीं।
इसके अलावा इलाके के जातीय समुदाय जैसे तिब्बती, लाहोबा, मोंबा भी अपने अनुसार जगहों के नाम बदलते रहते थे। जब जैंगनेम पर भारत ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाया तो वहां की सरकार ने गैर कानूनी तरीकों से जगहों के नाम भी बदले। झांग ने ये भी कहा था कि अरुणाचल के इलाकों के नाम बदलने का हक केवल चीन को होना चाहिए।

क्या सच में नाम बदल जाएंगे?
इसका जवाब है- नहीं। दरअसल, इसके लिए तय रूल्स और प्रॉसेस है। अगर किसी देश को, किसी जगह का नाम बदलना है तो उसे UN ग्लोबल जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट को पहले से जानकारी देनी होती है।
इसके बाद, UN के जियोग्राफिक एक्सपर्ट उस इलाके का दौरा करते हैं। इस दौरान प्रस्तावित नाम की जांच की जाती है। स्थानीय लोगों से बातचीत की जाती है। तथ्य सही होने पर नाम बदलने को मंजूरी दी जाती है और इसे रिकॉर्ड में शामिल किया जाता है।
अरुणाचल प्रदेश को चीन इतना अहम क्यों मानता है?
अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है। नॉर्थ और नॉर्थ वेस्ट में तिब्बत, वेस्ट में भूटान और ईस्ट में म्यांमार के साथ यह अपनी सीमा साझा करता है। अरुणाचल प्रदेश को पूर्वोत्तर का सुरक्षा कवच कहा जाता है।
चीन का दावा तो पूरे अरुणाचल पर है, लेकिन उसकी जान तवांग जिले पर अटकी है। तवांग अरुणाचल के नॉर्थ-वेस्ट में हैं, जहां पर भूटान और तिब्बत की सीमाएं हैं।
…………………
चीन-भारत से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
भारत ने लद्दाख में चीन की काउंटी का विरोध जताया: कहा- इसका कुछ हिस्सा हमारे क्षेत्र में, चाइना होतान में दो नई काउंटी बना रहा

भारत ने चीन की ओर से लद्दाख के कुछ इलाकों को अपना बताने पर जनवरी में विरोध दर्ज कराया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन अपने होतान प्रांत में दो नए काउंटी (जिला) बनाने की कोशिश कर रहा है। इनका कुछ हिस्सा लद्दाख में पड़ता है। चीन ने होतान प्रांत में दो नई काउंटी हेआन और हेकांग बनाने का ऐलान किया था। इन काउंटियों में मौजूद कुछ इलाके भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा हैं। पूरी खबर पढ़ें…