Chhattisgarh opposes Maharashtra’s coal mine project | महाराष्ट्र की कोयला खदान परियोजना का छत्तीसगढ़ से विरोध: पद्मश्री शमशाद बेगम ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, बोलीं-जनसुनवाई दोषपूर्ण रही, 10 गांव उजड़ जाएंगे – Balod News

शमशाद बेगम धरना प्रदर्शन के बाद नागपुर में आयोजित जनसुनवाई में अपनी शिकायत दर्ज कराती हुईं।

महाराष्ट्र के नागपुर जिले में प्रस्तावित दहेगांव-गोवारी कोयला खनन परियोजना का छत्तीसगढ़ में विरोध शुरू हो गया है। बालोद जिले के गुंडरदेही निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और सहयोगी जन कल्याण समिति की अध्यक्ष पद्मश्री शमशाद बेगम ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इ

.

उन्होंने अपने पत्र में नागपुर के वलनी गांव में 10 सितंबर को आयोजित जनसुनवाई (पब्लिक हियरिंग) को त्रुटिपूर्ण बताते हुए आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई। जिससे स्थानीय ग्रामीणों के अधिकारों की अनदेखी हुई है। उनका कहना है कि इस परिजनों से 10 गांव उजड़ जाएंगे।

14 सितंबर को भेजे मेल का नहीं मिला जवाब

पद्मश्री शमशाद बेगम ने अपने पत्र में लिखा है कि दहेगांव–गोवारी कोयला खान के संदर्भ में आयोजित यह जनसुनवाई पूर्णतः दोषपूर्ण रही। इस प्रक्रिया में संबंधित अधिकारियों ने जनसंवेदना नियमों का खुला उल्लंघन किया है।

उन्होंने बताया कि इस मामले में उन्होंने 14 सितंबर को राष्ट्रपति भवन को मेल भेजा था। संभवतः वह मेल निर्धारित प्रक्रिया के तहत उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाया। अगर मेल प्रोटोकॉल के अनुसार संज्ञान में लिया गया होता, तो अब तक उन्हें उसका जवाब मिल गया होता।

पद्मश्री शमशाद बेगम की ओर से राष्ट्रपति को पत्र लिखा गया है।

पद्मश्री शमशाद बेगम की ओर से राष्ट्रपति को पत्र लिखा गया है।

ग्रामीणों की तकलीफ देखकर लिखा पत्र

शमशाद बेगम ने बताया कि वह हाल ही में महाराष्ट्र में महिला कमांडो टीम की बैठक लेने गई थीं। इसी दौरान जब वह खनन प्रस्तावित क्षेत्र पहुंचीं तो वहां के ग्रामीणों की तकलीफ देखकर उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई।

10 गांव उजड़ जाएंगे, ग्रामीणों की आजीविका पर खतरा

उन्होंने बताया कि इस परियोजना से करीब 10 गांव के लोग विस्थापन के कगार पर हैं। खदान शुरू होने पर उन्हें पलायन करना पड़ेगा और पूरे गांव उजड़ जाएंगे। जनसुनवाई तो की गई, लेकिन अधिकारियों ने ग्रामीणों की आपत्तियों को नजरअंदाज किया। इतना ही नहीं पंचायतों से एनओसी लेना भी उचित नहीं समझा गया।

10 लाख लोगों के प्रभावित होने की आशंका- योगेश अनेजा

इस आंदोलन से जुड़े नागपुर के समाजसेवी योगेश अनेजा ने भास्कर को बताया कि राष्ट्रीय खनिज नीति में स्पष्ट लिखा है कि प्राकृतिक खनिज संसाधनों का मालिक जनता है, सरकार केवल संरक्षक है। इसके बावजूद भूमिगत खदान की खुदाई के लिए ग्रामीणों से कोई राय नहीं ली गई।

उन्होंने कहा कि जब परियोजना का 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका था, तभी औपचारिकता निभाने जनसुनवाई आयोजित की गई। यह खदान गोड़ेवाड़ा जलाशय के बेहद पास है। जिससे वलनी, खंडाला, पारडी, दहेगांव–गोवरी, खैरी, तोंडाखैरी, बोरगांव, झुनकी, सिंदी और बेल्लोरी सहित आसपास के कई गांव सीधे प्रभावित होंगे।

उन्होंने चेतावनी दी कि खदान संचालन से भूगर्भीय जलस्रोत नष्ट हो जाएंगे। जिससे कुएं, पनघट और तालाब सूखने लगेंगे। 10 गांवों के करीब 20 हजार लोग तुरंत प्रभावित होंगे, जबकि 10 लाख से अधिक लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *