Chhattisgarh New DGP Five Names | Pawan Dev, Arun dev | Himanshu Gupta News | छत्तीसगढ़ में नए DGP की रेस में 3 नाम आगे: पवन देव,अरुण देव या हिमांशु गुप्ता हो सकते हैं मुखिया; गोपनीय प्रस्ताव में 5 नाम – Chhattisgarh News

छत्तीसगढ़ में नए डीजीपी की तलाश शुरू हो गई है। वर्तमान के डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल 5 फरवरी, 2025 को पूरा होने वाला है। जुनेजा का कार्यकाल पूरा होने से पहले सरकार ने 5 सीनियर IPS अधिकारियों के नाम शॉर्टलिस्ट कर लिए हैं।

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हालांकि उनमें से डीजीपी की रेस में 3 अधिकारियों के नाम सबसे आगे हैं। पवन देव, अरुण देव या फिर हिमांशु गुप्ता छत्तीसगढ़ पुलिस के नए मुखिया हो सकते हैं। नवा रायपुर स्थित पुलिस मुख्यालय ने करीब 22 दिन पहले गृह विभाग को एक गोपनीय प्रस्ताव सौंपा था।

इस प्रस्ताव में तीन अलग-अलग बैच के पांच अफसरों के नाम थे। राज्य सरकार इनमें से किसी को भी छत्तीसगढ़ पुलिस का मुखिया बना सकती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव में जिन अफसरों के नाम थे, उसमें 1992 बैच के अधिकारी पवन देव और अरुण देव गौतम, 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता और शिव राम प्रसाद कल्लूरी और 1995 बैच के प्रदीप गुप्ता शामिल हैं।

डीजीपी की रेस में ये अफसर सबसे आगे।

डीजीपी की रेस में ये अफसर सबसे आगे।

सूची में शामिल अफसर वर्तमान में यहां हैं पदस्थ

  1. DG पवन देव- विशेष महानिदेशक (पुलिस आवास निगम) हैं।
  2. DG अरुण देव गौतम- महानिदेशक (होमगार्ड) के रूप में पदस्थ हैं।
  3. DG हिमांशु गुप्ता- प्रदेश के जेल प्रशासन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
  4. ADG रैंक के शिव राम प्रसाद कल्लूरी- PHQ में एडीजी (प्रशासन) के पद पर तैनात हैं।
  5. ADG प्रदीप गुप्ता- (रेलवे और वित्त एवं प्रावधान) के पद पर कार्यरत हैं।

गृह विभाग के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही इन पांच अधिकारियों के नाम वाले प्रस्ताव को सीएम विष्णुदेव साय के पास भेजा जाएगा। सीएम साय की स्वीकृति मिलने के बाद इस प्रस्ताव को यूपीएससी भेजा जाएगा। यूपीएससी में प्रक्रिया पूरी होने के बाद वहां से लेटर राज्य सरकार को आएगा। राज्य सरकार उसमें से किसी को डीजीपी अपॉइंट करेगी।

डीजीपी की रेस में इन अफसरों का नाम भी।

डीजीपी की रेस में इन अफसरों का नाम भी।

DGP बनने की रेस में ये अफसर सबसे आगे

डीजी पवन देव।

डीजी पवन देव।

DG पवन देव

  • जन्म 16 जुलाई 1968 को हुआ था।
  • मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं।
  • बीई मैकेनिकल में डिग्री लेने के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी की।
  • 10 जनवरी 1993 को आईपीएस की नौकरी में आए थे।
  • छत्तीसगढ़ कैडर के 1992 बैच के IPS हैं।
  • बिलासपुर जिले में प्रशिक्षु IPS के तौर पर पदस्थ थे। इस दौरान वे मस्तूरी थाना प्रभारी थे।
  • बिलासपुर जिले के एडिशनल एसपी और राजनांदगांव के एसपी रह चुके हैं।
  • लोक अभियोजन के संचालक थे। छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती और चयन का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला है। IG CID ​​रह चुके हैं।
  • वर्तमान में DG रैंक के अधिकारी हैं। पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक हैं।
डीजी अरूण देव गौतम।

डीजी अरूण देव गौतम।

DG अरुण देव गौतम

  • IPS अरूण देव गौतम छत्तीसगढ़ कैडर के 1992 बैच के IPS हैं।
  • एमए, एमफिल किया है।
  • एसपी के रूप में कोरिया, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, सरगुजा और बिलासपुर में पदस्थ रह चुके हैं।
  • छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स, बिलासपुर, बस्तर, रेलवे प्रशिक्षण भर्ती और यातायात में बतौर IG रह चुके हैं।
  • ADG के कार्यकाल में जेल और परिवहन, नगर सेना, अग्निशमन, लोक अभियोजन की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
  • सचिव गृह विभाग और OSD भी रह चुके हैं। वर्तमान में DG हैं।
डीजी हिमांशु गुप्ता।

डीजी हिमांशु गुप्ता।

DG हिमांशु गुप्ता

  • हिमांशु गुप्ता छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के IPS हैं।
  • BE इलेक्ट्रॉनिक्स की डिग्री है।
  • दंतेवाड़ा, जांजगीर–चापा, धमतरी, कोरबा और जगदलपुर में एसपी रह चुके हैं।
  • सरगुजा रेंज, बस्तर रेंज और दुर्ग रेंज में IG रह चुके हैं।
  • ADG कार्यकाल में दुर्ग रेंज- गुप्ता वार्ता, प्रशासन और भर्ती संभाल चुके हैं।
  • तकनीकी शिक्षा के संचालक के रुप में भी पदस्थ रह चुके हैं। वर्तमान में DG हैं।

DGP नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह है निर्देश

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का 2006 का फैसला राज्य डीजीपी नियुक्तियों के लिए मार्गदर्शक ढांचे के रूप में काम करना जारी रखता है। न्यायालय ने आदेश दिया कि राज्य सरकारें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा सूचीबद्ध 3 सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से अपने DGP का चयन करें।

चयनित अधिकारी को अपनी सेवानिवृत्ति तिथि की परवाह किए बिना कम से कम दो साल का कार्यकाल पूरा करना होगा।

DGP पद के लिए योग्‍यता

डीजीपी बनने के लिए 30 साल की सेवा जरूरी है। इससे पहले स्पेशल केस में भारत सरकार डीजीपी बनाने की अनुमति दे सकती है। छोटे राज्यों में आईपीएस का कैडर छोटा होता है, इसको देखते भारत सरकार ने डीजीपी के लिए 30 साल की सर्विस की जगह 25 साल कर दिया है। मगर बड़े राज्यों के लिए नहीं।

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