महासमुंद में 2 पटाखा दुकानें प्रशासन ने की सील।
छत्तीसगढ़ के महासमुंद में दैनिक भास्कर ने गोदामों में पटाखा रखने की बजाए शहर में बारूद के ढेर से जुड़ी खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद हरकत में आया जिला प्रशासन दुकानों की जांच में निकला।
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राजस्व और पुलिस की संयुक्त टीम ने लाइसेंस एक्सपायरी होने के बावजूद पटाखा दुकान संचालित करते और एक दुकान में मात्रा से अधिक बारूद पाएं जाने पर दोनों दुकानों को सील कर दिया।
दुकानों में जांच करने पहुंची प्रशासन की टीम।
दैनिक भास्कर के खबर प्रकाशित किए जाने के बाद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देश पर एसडीएम ने एक जांच टीम गठित कर दी। इस टीम में कार्यपालिक मजिस्ट्रेट मोहित अमीला, आर आई मनीष श्रीवास्तव, पटवारी खम्मनलाल साहू सहित दो सब इंस्पेक्टर और दो हवलदार की संयुक्त टीम ने गुरुवार की शाम करीब 6 बजे शहर के पटाखा दुकानों की जांच करने निकली।
टीम ने 6 व्यापारियों के दुकानों की जांच की। इनमें लाइसेंस होल्डर शफीक चौहान, संजीव कुमार साहू, वकील चौहान, राहुल कृष्णानी, कादिर चौहान , मेसर्स शाजिद एण्ड ब्रदर्स और राजेश कृष्णानी के दुकानों की जांच की।
दुकानों में जांच करते हुए अधिकारी।
इनमें से टीम ने रायपुर रोड पर संचालित पटाखा दुकान लाइसेंस होल्डर मेसर्स शाजिद एण्ड ब्रदर्स के यहां पहुंची। जांच के दौरान स्थाई पटाखा लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुका था। लाइसेंस की अवधि 27 जनवरी 2024 तक था। रिन्यूअल हुए बिना दुकान पर पटाखे बेचता हुआ पाया गया।
40 किलो बारूद ज्यादा मिला
टीम ने पंचनामा कर दुकान को सील कर दिया। इसके बाद गंजपारा स्थित राजेश कृष्णानी के दुकान की जांच करने पहुंची। यहां जांच के दौरान पाया गया कि, लाइसेंस होल्डर राजेश कृष्णानी के नाम पर 25 किलो बारूद रखने के लाइसेंस जारी हुआ था। लेकिन मौके पर मात्रा से अधिक 40 किलो बारूद पाया गया। इसके बाद टीम ने दुकान को सील कर दिया।
राईस मिल को बताया गोदाम
लाइसेंस होल्डरों राजेश कृष्णानी ने पिटियाझर दलदली रोड में भूखंड नंबर 31/2, 31/3, पर अभिषेक बाफना का पिछले 10 सालों से बंद पड़ा जिंदल राईस मिल को अपना गोदाम बताया था। और इसी गोदाम के आधार पर राजेश कृष्णानी को स्थाई पटाखा लाइसेंस प्रशासन ने जारी किया था।
बता दें कि, 1999 से लेकर अब तक जारी लाइसेंस के आधार पर गोदामों की जांच प्रशासन कभी नहीं की। लाइसेंस जारी करने के बाद जिला प्रशासन भी भौतिक सत्यापन कराना ही भूल गया। व्यापारी भी प्रशासनिक जमीनी अमले से सांठ-गांठ कर अमला कभी मौके पर जाते ही नहीं थे।