चंडीगढ़ नगर निगम की एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (आईएसडब्लूएम) परियोजना की योजना लगातार मुश्किलों में घिरती नजर आ रही है। कई असफल टेंडरिंग प्रयासों के बाद, इस परियोजना को फिर से झटका लगा है। हाल ही में की गई बोली प्रक्रिया में केवल दो कंपनियों ने भाग ल
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यदि एमसी इस बोली को स्वीकार करता है, तो उसे प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपए का खर्च करना पड़ेगा। अगले 15 वर्षों के लिए इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 1,500 करोड़ रुपए हो सकती है। इसके अलावा, नगर निगम को वैरिएबल गैप फंडिंग (वीजीएफ) के रूप में लगभग 80 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान भी करना होगा।
नगर निगम के लिए बड़ी चुनौती
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि 2,000 से 2,500 रुपए प्रति टन के बीच कचरा प्रसंस्करण शुल्क की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन सबसे कम बोली अनुमान से लगभग दोगुनी है। अन्य शहरों जैसे इंदौर और गोवा में इसी प्रकार की परियोजनाओं में प्रसंस्करण दर काफी कम है। चंडीगढ़ में 550 टन प्रतिदिन (टीपीडी) कचरे का उत्पादन होता है, जिसमें से अधिकांश का मौजूदा अस्थायी और स्थायी कचरा प्रसंस्करण संयंत्रों में निपटान किया जा रहा है।
भविष्य की परियोजना और बढ़ती कचरा समस्या
जनसंख्या वृद्धि और बढ़ते कचरे की मात्रा के साथ, अगले 25 वर्षों में कचरा उत्पादन 750 टीपीडी तक पहुंच सकता है। नगर निगम ने इस परियोजना के लिए आईआईटी रोपड़ और नागपुर स्थित नीरी से परामर्श लिया है। वर्तमान में नगर निगम को यह निर्णय लेना है कि वह इस बोली प्रक्रिया को स्वीकार करे या इसे फिर से रद्द कर दे।
नगर निगम के अधिकारियों का मानना है कि अगर बोली लगाने वाले से दरों को लेकर समझौता नहीं हो पाता है, तो नगर निगम के पास कोई और विकल्प नहीं होगा सिवाय इसके कि टेंडर प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाए।
वेस्ट मैनेजमेंट शहर के लिए बना चुनौतीपूर्ण मुद्दा
चंडीगढ़ में कचरा प्रबंधन एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। दादूमाजरा में प्रस्तावित नया कचरा प्रबंधन संयंत्र 20 एकड़ भूमि पर बनाया जाना है, जो भविष्य में बढ़ते कचरे को संभालने की क्षमता रखेगा।