चंडीगढ़ में स्मॉल फ्लैट्स में रहने वाले हजारों परिवारों की उम्मीदों को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब केंद्र सरकार ने संसद में स्पष्ट कर दिया कि इन फ्लैट्स के निवासियों को मालिकाना हक नहीं दिया जाएगा। यह जानकारी चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी द्वारा लोकसभा
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केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसके तहत इन फ्लैट्स के निवासियों को मालिकाना अधिकार दिया जा सके। यह फैसला विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने लंबे समय से गरीबों को इन फ्लैट्स पर मालिकाना हक देने का वादा किया था।
गौरतलब है कि 2006 में चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर की अनधिकृत कॉलोनियों और कच्ची बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों को अस्थायी आवास प्रदान करने के लिए स्मॉल फ्लैट्स योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत बत्तड़, मलोया और धनास जैसे क्षेत्रों में छोटे फ्लैट्स का निर्माण किया गया था।
मालिकाना हक नहीं मिलेगा यह मुद्दा पिछले कुछ सालों से लगातार चर्चा में रहा है। 2022 में चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक में भी इस विषय पर विस्तृत चर्चा हुई थी, जहां प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि इस मामले में अंतिम निर्णय केंद्र सरकार का होगा। 2023 में भी विभिन्न स्थानीय संगठनों ने फ्लैट्स को निवासियों के नाम पर स्थानांतरित करने की मांग की थी। लेकिन अब केंद्र सरकार के इस स्पष्ट जवाब के बाद इन परिवारों को मालिकाना हक पाने की उम्मीदें समाप्त हो गई हैं।