सांसद मनीष तिवारी ने संसद में चंडीगढ़ शेयरवाइस रजिस्ट्री का मुद्दा उठाया है।
चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने एक बार फिर संसद में चंडीगढ़ का मुद्दा उठाया है। उन्होंने चंडीगढ़ में बंद पड़े शेयरवाइज प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का मुद्दा उठाया है। इस पर उन्होंने सरकार से इसे खोलने की मांग की है। सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि 10 जनवरी
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दूसरा यह था कि चंडीगढ़ में कोई भी एमओयू रजिस्टर नहीं किया जाएगा जिससे ऐसी कोई कार्रवाई हो। जब तक हेरिटेज कमेटी रिहायशी इलाकों से जुड़े इन मामलों पर दोबारा विचार नहीं कर लेती।
9 फरवरी को जारी हुई थी अधिसूचना
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने 9 फरवरी 2023 को एक अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के अनुसार चंडीगढ़ में शेयरवाइज प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। इसमें प्रशासन ने शर्त रखी थी कि किसी भी रिहायशी बिल्डिंग का प्लान या रिवाइज्ड बिल्डिंग प्लान तभी मंजूर होगा जब उस घर में रहने वाले सभी मालिक एक ही परिवार से हों।
ऐसे में उन लोगों को परेशानी हो रही है जिन्होंने 20 या 30% शेयर के आधार पर रिहायशी प्रॉपर्टी खरीदी है। सेल डीड, ट्रांसफर डीड, गिफ्ट डीड, बिल, डेथ केस में प्रॉपर्टी का ट्रांसफर सिर्फ परिवार के अंदर ही हो सकता है। चाहे कितने भी शेयर रजिस्टर्ड हों।
क्या है शेयरवाइज प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन
चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी की कीमत अधिक होने के कारण कुछ सेक्टरों में लोग तीन मंजिला मकान बनाकर तीन हिस्सों में बेचते थे। इसमें ग्राउंड फ्लोर के मालिक का 50% हिस्सा, फर्स्ट फ्लोर के मालिक का 30% हिस्सा और टॉप फ्लोर के मालिक का 20% हिस्सा होता था।
इस तरह का रजिस्ट्रेशन 2023 से पहले हो रहा था। जिससे चंडीगढ़ में आसानी से मकान खरीदे और बेचे जा सकेंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में 10 जनवरी 2023 को रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन व अन्य बनाम चंडीगढ़ प्रशासन व अन्य के नाम से दायर याचिका में यह आदेश जारी किया गया था। इसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इस तरह के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी थी।