चंडीगढ़ नगर निगम को वित्तीय संकट से उबारने के लिए मेयर कुलदीप कुमार ने सभी पार्षदों को पत्र लिखकर उनके सुझाव मांगे हैं। यह कदम प्रशासन के विभाग देने से इनकार करने के बाद उठाया गया है। 22 अक्टूबर को आर्थिक संकट से उबरने के लिए बुलाई गई विशेष सदन बैठक
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पार्षदों को लिखे गए पत्र में प्रशासक के साथ हुई बैठक का भी जिक्र किया गया है। मेयर ने पार्षदों से अनुरोध किया है कि वे 7 दिन के भीतर राजस्व सृजन बढ़ाने के लिए सुझाव प्रस्तुत करें। मेयर ने स्पष्ट किया कि निगम यदि संपत्ति टैक्स और पानी के बिल की वसूली में सक्षम हो जाए, तो यह वित्तीय स्थिति में सुधार में सहायक होगा।
डिफॉल्टरों पर होगी सख्ती इसके साथ ही, मेयर ने पार्षदों को बताया कि डिफॉल्टरों की सूची तैयार कर उन्हें बकाया राशि जमा करने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। मेयर ने कहा कि डिफॉल्टरों से 7 दिन के भीतर सकारात्मक जवाब की उम्मीद है। यदि डिफॉल्टर बकाया चुकाने में नाकाम रहते हैं, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें संपत्ति सील करने की कार्रवाई भी शामिल है।
इस सूची में आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों के साथ-साथ सरकारी और गैर-सरकारी भवनों के नाम भी शामिल हैं, जैसे कि पीजीआई, पंजाब, हरियाणा और यूटी सचिवालय के भवन।
सचिवालय में बैठक का निर्णय बता दें कि हाल ही में यूटी सचिवालय में गुलाब चंद कटारिया, राज्यपाल पंजाब एवं प्रशासक, यूटी, चंडीगढ़ की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में वित्तीय संकट से निपटने के लिए डिफॉल्टरों से तत्काल संपत्ति कर और पानी के बिल वसूलने के निर्देश दिए गए थे।
मेयर ने निर्देश दिया है कि जिन डिफॉल्टरों ने अब तक संपत्ति कर और पानी के बिल का भुगतान नहीं किया है, उनकी सूची 7 दिन के भीतर उपलब्ध कराई जाए। यह प्रस्तावित है कि डिफॉल्टरों के खिलाफ तुरंत आवश्यक कार्रवाई की जाए। बकाया राशि के साथ डिफॉल्टरों की सूची अखबार में वैकल्पिक दिनों में प्रकाशित की जाएगी, साथ ही बकाया जमा करने के निर्देश के साथ रेडियो पर भी नामों की घोषणा की जा सकती है।
मेयर ने यह सुनिश्चित किया है कि समय पर कर जमा करने में विफल रहने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।