Chandigarh Many schools do not have qualified teachers, 80% lack playgrounds | चंडीगढ़ के गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों में शिक्षा का संकट: कई स्कूलों में योग्य शिक्षक नहीं, 80% में खेल के मैदान की कमी – Chandigarh News


चंडीगढ़ शहर के गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों में बुनियादी शैक्षिक ढांचे और सुविधाओं की कमी बच्चों के समग्र विकास में बड़ी बाधा बन रही है। हाल ही में किए गए एक निरीक्षण से पता चला है कि लगभग 45.5% स्कूलों में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के

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स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

चंडीगढ़ प्रशासन और स्कूल शिक्षा विभाग ने इन गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की मौजूदा स्थिति पर कड़ी कार्रवाई करने की योजना बनाई है। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 13,000 छात्र इन स्कूलों में पढ़ रहे हैं, जहां न केवल भवन और अग्नि सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि बच्चों की शिक्षा के लिए बुनियादी ढांचे की भी घोर कमी है। हाल ही में हुए निरीक्षण में पाया गया कि 66 स्कूलों में से 55-56 के पास अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं हैं और 59 के पास ‘व्यवसाय के लिए उपयुक्त’ प्रमाणपत्र नहीं थे।

शिक्षक की योग्यताओं में कमी

इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आई है। 30 से अधिक स्कूल एनसीटीई के मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिनमें योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव है। इस कमी का सीधा असर छात्रों की शैक्षिक प्रगति पर पड़ता है, क्योंकि योग्य शिक्षकों के बिना गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, 24 स्कूलों में कक्षाओं में आवश्यक शिक्षण उपकरणों की भी कमी पाई गई है, जो छात्रों के सीखने के अनुभव को समृद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

पुस्तकालय और खेल के मैदान की कमी

77.2% स्कूलों में पुस्तकालय नहीं होने से बच्चों को न केवल पढ़ाई बल्कि आत्म-सुधार, अन्वेषण और आलोचनात्मक सोच के अवसरों से भी वंचित किया जा रहा है। रणबीर झोरड़, संयुक्त शिक्षक संघ (JTA) के अध्यक्ष, का कहना है कि पुस्तकालय छात्रों के सीखने और उनकी जानकारी तक पहुँच के लिए अनिवार्य हैं। इसी तरह, 80.3% स्कूलों में खेल के मैदानों की कमी पाई गई, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी हैं।

बच्चों के विकास पर गहरा असर

खेल के मैदानों की कमी छात्रों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। स्कूलों में खेल की गतिविधियां न केवल बच्चों के शरीर को फिट रखती हैं, बल्कि उनमें सामाजिक कौशल और मानसिक संतुलन भी विकसित करती हैं। JTA के सदस्य अरविंद राणा ने कहा, “खेल के मैदान और पुस्तकालय शिक्षा का अहम हिस्सा हैं। ये छात्रों को तनावमुक्त वातावरण में अपनी क्षमताओं को निखारने का मौका देते हैं। इनके बिना बच्चों का समग्र विकास बाधित होता है।

प्रशासन की तैयारी

चंडीगढ़ प्रशासन ने स्कूल शिक्षा विभाग के साथ मिलकर इन स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई है। अगले तीन हफ्तों में अधिकारी मिलकर इन स्कूलों की प्रगति का आकलन करेंगे और इन पर की जाने वाली कार्रवाई की समीक्षा करेंगे। उम्मीद है कि इन कमियों को जल्द ही दूर कर बच्चों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध शैक्षिक वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा।

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