रिटायरमेंट के बाद गलती से भेजी राशि की विधवा से वसूली करने के मामले में चंडीगढ़ कैट ने इसे अवैध बताया है। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) की चंडीगढ़ बैंच ने अहम फैसला सुनाते हुए बैंक को बकाया वसूली रोकने के साथ-साथ 2.56 लाख लौटाने के
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बैंक की अपनी गलती के कारण रिटायर कर्मचारी की जीवनकाल के दौरान भुगतान की गई अधिक राशि का विधवा से वापस लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है।
निर्धारित कानून के मद्देनजर वसूली अवैध
वकील ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर वसूली अवैध है, लेकिन बैंक ने इसे सही ठहराया। ट्रिब्यूनल ने कहा, “चाहे यह एसबीआई, नियोक्ता या पीसीडीए पैंशन की गलती हो। तथ्य यह है कि न तो आवेदक, न ही आवेदक के पति की कोई गलती थी। इसलिए मामले में बैंक की ओर से वसूली की कार्रवाई को अवैध घोषित जाता है।
दायर याचिका में कहा
स्व. गजेंद्र सिंह की पत्नी भगवान देवी ने ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर अर्जी में बताया कि पति मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज, गैरीसन इंजीनियर, चंडीगढ़ के कार्यालय में कार्यरत थे। सेवानिवृत्ति के बाद 22 मई, 2012 के आदेश के तहत पैंशन दी गई थी। 18 दिसम्बर, 2019 को मृत्यु के बाद पारिवारिक पैंशन शुरू हुई। 21 जनवरी, 2020 को खाते से बिना सूचना 2.56 लाख काट लिए गए।
इसे लेकर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले स्थित बिद्यार के एसबीआई मैनेजर को शिकायत भेजी थी। बैंक ने 5 फरवरी को पत्र के माध्यम से सूचित किया कि नियमित पेंशन में 8 लाख 40 हजार 933 रुपए का कुछ अधिक भुगतान किया गया था। इसके चलते 2.56 लाख काटते हुए शेष 5 लाख 84 हजार 933 रुपए की भी वसूली की जाएगी।
कार्रवाई को अवैध घोषित किया
कैट ने यह फैसला मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज से रिटायर सी श्रेणी के कर्मचारी की विधवा भगवान देवी की शिकायत पर सुनाया है। कैट ने बिना पूर्व सूचना के विधवा के खाते से अतिरिक्त भुगतान की वसूली करने की बैंक की कार्रवाई को अवैध घोषित कर दिया है। बैंच ने बैंक को वसूली रोकने और डेबिट 2.56 लाख रुपए राशि को दो महीने के भीतर वापस करने का भी निर्देश दिया है।