Chandigarh 6 crore extortion money demanded businessman | चंडीगढ़ में कारोबारी से 6 करोड़ की मांगी रंगदारी: गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम से कॉल, हिमाचल के प्रॉपर्टी डीलर का दिया नंबर – Chandigarh News


चंडीगढ़ में एक बार फिर से गैंगस्टरों द्वारा व्यापारियों को धमकी भरी कॉल कर रंगदारी मांगे जाने का मामला सामने आया है। शहर के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी को कथित रूप से जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम से धमकी दी गई, जिसमें उसके परिवार की

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सेक्टर-8 में रहने वाले व्यवसायी ने पुलिस को बताया कि उसे मंगलवार रात को एक अज्ञात अंतरराष्ट्रीय नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को लॉरेंस बिश्नोई बताते हुए दिल्ली की तिहाड़ जेल से संपर्क करने का दावा किया। कॉल के दौरान पहले 15 लाख रुपए की मांग की गई, जिसे बाद में बढ़ाकर 6 करोड़ रुपए कर दिया गया।

पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज कर ली है और व्हाट्सएप नंबर की जांच कर रही है। साथ ही, कॉल करने वाले की आवाज का मिलान करने की भी कोशिश की जा रही है।

परिवार को खत्म करने की धमकी

व्यवसायी ने बताया कि कॉलर ने उनके परिवार की तस्वीरें भेजकर उन्हें धमकाया। पैसे न देने पर उनके परिवार को खत्म करने की धमकी दी गई। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के बद्दी में एक अन्य प्रॉपर्टी डीलर का नाम और नंबर देते हुए, रंगदारी की राशि उसी को सौंपने का निर्देश दिया गया।

पुलिस जांच जारी

व्यवसायी ने पहले ही सेक्टर-39 और सेक्टर-3 पुलिस थाने में अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई हैं। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है पुलिस अधिकारी कॉलर की पहचान और स्थान का पता लगाने के लिए साइबर टीम की मदद से जांच कर रहे हैं।

गैंगस्टर की पुरानी धमकियों का सिलसिला

यह कोई पहली बार नहीं है जब शहर के व्यापारियों को इस तरह की धमकियों का सामना करना पड़ा है। इससे पहले जनवरी 2024 में भी बिश्नोई गैंग ने एक व्यापारी से 2 करोड़ रुपए की मांग की थी और धमकी न मानने पर उसके घर पर फायरिंग की थी। इस घटना के पीछे गैंगस्टर गोल्डी बरार का नाम सामने आया था। उच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणियां

मार्च 2024 में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने जेलों में बंद अपराधियों द्वारा रंगदारी मांगने के बढ़ते मामलों पर कड़ी टिप्पणी की थी। न्यायालय ने जेलों में सुरक्षा बढ़ाने और कैदियों द्वारा किए जाने वाले अवैध फोन कॉल्स को रोकने के सख्त निर्देश दिए थे। इसके साथ ही तीन महीने के भीतर जेलों से जब्त किए गए मोबाइल फोन का ब्यौरा देने का आदेश भी जारी किया गया था।

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