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स्पोर्ट्स डेस्क26 मिनट पहले
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गुकेश ने कहा, पैरेंट्स को बस ‘थैंक्यू’ कह देना, उनका बलिदान दर्शाने के लिए बहुत कम शब्द हैं।
18 साल की उम्र में चेस के वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले डी गुकेश ने कहा कि आज उनके बचपन का गुकेश बहुत खुश होता। उन्होंने कहा, 7 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना देखा था, आज सपना पूरा हुआ तो खुद के इमोशंस को बहने से रोक नहीं सका।
गुकेश ने कहा, मैं 14वें गेम में ड्रॉ का ही सोच रहा था, लेकिन डिंग लिरेन ने तभी ब्लंडर कर दिया। ब्लंडर का पता लगते ही मैं समझ गया, जीतने का यही बेस्ट चांस है। उनका ब्लंडर मेरे जीवन का बेस्ट मोमेंट बन गया।
वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद गुकेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस अटेंड की।
जानिए गुकेश ने क्या कहा…
सवाल: ड्रॉ की पोजिशन से आप विनिंग पोजिशन में पहुंचे, उस फीलिंग के बारे में बताइए?
गुकेश: जब उन्होंने हाथी की चाल चली तो मैं अपनी नॉर्मल चाल चलने वाला था। फिर मुझे समझ आया कि लिरेन ने ब्लंडर कर दिया है, उनका हाथी मेरे हाथी के सामने ही आ गया था। लिरेन का ब्लंडर मेरे जीवन का बेस्ट मोमेंट था, क्योंकि मैं जानता था, यहां से मैच मेरे हाथ में है।
लिरेन (दाएं) के ब्लंडर के बाद गुकेश विनिंग पोजिशन में आ गए। लिरेन ने रिजाइन किया और गुकेश वर्ल्ड चैंपियन बन गए।
सवाल: 14 गेम खेलने के बाद डिफेंडिंग चैंपियन को हराने का अहसास कैसा है?
गुकेश: हम सभी जानते हैं कि डिंग लिरेन क्या हैं, वह इतिहास के बेस्ट खिलाड़ी हैं। इतने प्रेशर के बाद उन्होंने जितना तगड़ा कॉम्पिटिशन मुझे दिया, यह उनकी काबिलियत बताता है। पिछले 2 सालों से लिरेन थोड़ा स्ट्रगल कर रहे हैं, इसके बावजूद वह एक सच्चे चैंपियन के रूप में खेले।
6-7 साल की उम्र में जब मैंने चेस खेलना शुरू किया, तभी से मैं चैंपियन बनने का सपना देख रहा था। हर प्रोफेशनल चेस प्लेयर वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना देखता है, लेकिन बहुत कम इसे पूरा कर पाते हैं। मैं पूरे सफर के लिए भगवान का धन्यवाद देता हूं। मुझे सपोर्ट करने वाले सभी लोगों को भी मैं धन्यवाद देता हूं।
सवाल: आपने इसी साल कैंडिडेट्स और ओलिंपियाड गोल्ड जीता। विश्वनाथन आनंद के बाद आप चैंपियनशिप टाइटल को भारत ले जाने वाले पहले प्लेयर हैं। आपके देश के लिए यह कितना अहम है?
गुकेश: देश को किसी भी टूर्नामेंट में रिप्रेजेंट करना गर्व की बात है। जब मैं 2013 में वर्ल्ड चैंपियनशिप का फाइनल देख रहा था, तब मैंने सोचा था कि उस जगह पर बैठने का अहसास कितना अलग होगा। फिर मैग्नस जीत गए, तब मैंने सोच लिया था कि मैं इस टाइटल को फिर एक बार भारत लेकर जाऊंगा। पिछले 10 सालों से यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना था। आज मैंने इसे पूरा कर लिया।
गुकेश बोले, मैंने 2013 में ही सोच लिया था कि चेस चैंपियनशिप का टाइटल एक दिन भारत लेकर जाऊंगा।
सवाल: यंगेस्ट वर्ल्ड चैंपियन बनने के अहसास के बारे में बताइए?
गुकेश: 8 साल के गुकेश के लिए सबसे युवा चैंपियन बनना बहुत बड़ी बात होती, लेकिन अब मैं इन सब रिकॉर्ड्स के बारे में नहीं सोचता। मेरी 2017 की एक क्लिप वायरल होती है, जिसमें मैंने कहा था कि मैं यंगेस्ट चैंपियन बनना चाहता हूं। मैंने सपना तो पूरा कर लिया, लेकिन फिर भी लगता है कि तब का गुकेश इस रिकॉर्ड से ज्यादा खुश होता।
सवाल: चेस फाइनल के सफर में आपके लिए बेस्ट पार्ट क्या रहा?
गुकेश: गेम-1 के लिए जब मैंने रूम में एंट्री की, मैं गेम हार गया, लेकिन मेरे लिए उस रूम में बैठना ही सपना पूरे होने की तरह था। क्योंकि 2013 में जब आनंद सर और मैग्नस का फाइनल चल रहा था, तब मुझे दर्शकों में भी एंट्री नहीं मिली थी। तभी मैंने सोच लिया था कि इंडियन फ्लैग के साथ उस चेयर पर बैठना बहुत जरूरी है।
गुकेश बोले, चेस चैंपियनशिप फाइनल में गेम-1 के लिए रूम में एंट्री करना मेरे सफर का बेस्ट पार्ट रहा।
सवाल: चैंपियन बनने के बाद आपकी आंखों से आंसू बहने लगे, अपने इमोशंस को आपने किस तरह संभाला?
गुकेश: मुझे यकीन नहीं था कि मैं जीत जाऊंगा, इसलिए मैं बहुत ज्यादा इमोशनल हो गया। मैं ज्यादा से ज्यादा देर तक गेम खेलने के बारे में सोच रहा था। मैं ड्रॉ के बारे में ही सोच रहा था, मैंने खुद को टाई-ब्रेकर के लिए तैयार कर लिया था। तभी लिरेन ने ब्लंडर कर दिया और मैं विनिंग पोजिशन में आ गया। मोमेंट इतनी तेजी से हुआ कि मैं अपने इमोशंस पर कंट्रोल नहीं कर सका।
सवाल: युवा गुकेश को आप क्या सलाह देना चाहोगे? चैंपियन बनने के बाद मां से क्या बातें हुईं?
गुकेश: मैं अपने करियर के बारे में कुछ भी बदलाव नहीं करना चाहूंगा। मां से तो ज्यादा बातें नहीं हुईं, हम दोनों ही फोन पर रो रहे थे।
वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद लिरेन चेयर पर बैठे-बैठे ही इमोशनल हो गए, उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।
सवाल: पैरेंट्स के बलिदान ने किस तरह आपको चेस खेलने के लिए इंस्पायर किया?
गुकेश: मेरे दोनों ही पैरेंट्स स्पोर्ट्स लवर्स हैं, चेस चैंपियन बनने का सपना मुझसे ज्यादा उन्होंने देखा है। थैंक्यू, बहुत छोटा शब्द है, उनका कॉन्ट्रिब्यूशन बताने के लिए। मेरे करियर में सबसे बड़ा सपोर्ट उन्हीं दोनों का रहा। यहां से जाने के बाद उनसे खुलकर बातें कर पाऊंगा।
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