अहमदाबाद8 घंटे पहलेलेखक: कमल परमार
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कांग्रेस का 84वां अधिवेशन 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने जा रहा है। एक दिन पहले ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि पार्टी गुजरात में अधिवेशन कर रही है। मेरा मानना है कि कांग्रेस के अधिवेशन में आइडियोलॉजी पर अच्छी चर्चा होती है, लेकिन एग्जीक्यूशन नहीं हो पाता। कांग्रेस नेता अपने अंदर गांधीजी के विचार ला पाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।’
पित्रोदा ने कहा, ‘इससे पहले रायपुर और जयपुर में सम्मेलन आयोजित किए गए थे। पार्टी को जिम्मेदारों से पूछना चाहिए कि उस समय जो सुझाव आए उनका कितना एग्जीक्यूशन हो पाया। इस बार मैं कांग्रेस नेताओं से हाथ मिलाकर कहूंगा कि आप जो भी निर्णय लें, उसके साथ एक क्रियान्वयन समिति भी बनाएं। उन्हें एक कार्यक्रम दीजिए। संसाधन उपलब्ध कराएं। समय तय करें।’
82 साल के सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। वे सुरेन्द्रनगर जिले के हलवद तालुका के टिकर गांव के रहने वाले हैं। फिलहाल परिवार के साथ अमेरिका में रहते हैं।
दैनिक भास्कर के साथ पित्रोदा का पूरा इंटरव्यू पढ़ें…

सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है।
सवाल: 64 साल बाद गुजरात में हो रहे कांग्रेस के अधिवेशन को लेकर आप क्या कहेंगे? जवाब: देश की आजादी के दौरान और उसके बाद कांग्रेस पार्टी को जो विचारधारा मिली, उसके लिए वह महात्मा गांधी, सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू की कृतज्ञ है। महात्मा गांधी का जन्म गुजरात में हुआ था, लेकिन मेरे विचार में वे एक अनिवासी भारतीय थे। वे विदेश गए और पढ़ाई की। इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में काम किया।
इसके बाद उनकी विचारधारा दृढ़ हो गई और वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए देश लौट आए। गांधीजी सिर्फ कांग्रेस पार्टी और भारत की विचारधारा नहीं हैं, बल्कि विश्व की मानवतावादी विचारधारा हैं। गांधी का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग है। गांधी का मतलब है सत्य, प्रेम, विश्वास, स्थिरता, स्वतंत्रता, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, विविधता। ये बहुत बड़े विचार हैं।
आज के समय में गांधीजी की बहुत आवश्यकता है। मुझे गर्व है कि कांग्रेस पार्टी ने अपना अगला अधिवेशन गुजरात में आयोजित किया है। गुजरात में 64 साल बाद कोई सम्मेलन होने जा रहा है। इस अधिवेशन में कांग्रेस गुजरात में गांधीजी को पुनर्जीवित करने जा रही है, ताकि गांधीजी की विचारधारा हर गुजराती के दिल में प्रकट हो।
मुझे उम्मीद है कि यह सत्र गांधीजी की जीवनशैली और गांधीजी के विचारों पर केंद्रित होगा और मैं सभी कांग्रेसजनों से आग्रह करता हूं कि वे अपने दिल में झांकें और सोचें कि वे किस तरह के गांधी का अनुसरण करना चाहते हैं। यदि कांग्रेस के सदस्य अपने भीतर, अपने मित्रों और अपने परिवार के सदस्यों के भीतर गांधीजी को वापस ला सकें तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

सवाल: पिछले अधिवेशनों से कांग्रेस में क्या बदलाव आया है? जवाब: मैंने खुद देखा है कि सत्र में चर्चा अच्छी चल रही है। विचारधारा पर बहुत काम किया जाता है, लेकिन क्रियान्वयन नहीं हो पाता। देश में हर जगह क्रियान्वयन की समस्या है। लोगों को सलाह देना एक महत्वपूर्ण काम है, लेकिन सुधार करने की जिम्मेदारी किसी की नहीं है। जब तक इन विचारों को क्रियान्वित नहीं किया जाएगा, तब तक कुछ नहीं होगा।
इससे पहले रायपुर और जयपुर में सम्मेलन आयोजित किए गए थे। हमें इस बात पर विचार करना होगा कि उस समय सत्र में क्या निर्णय लिया गया था और आज क्या लागू किया गया है। इसे लागू करने की जिम्मेदारी किसकी थी? यदि जिम्मेदार लोगों ने अपना काम नहीं किया है तो उन्हें बुलाएं और उनसे बात करें।
इस बार मैं कांग्रेस नेताओं से हाथ मिलाकर कहूंगा कि आप जो भी निर्णय लें, उसके साथ ही एक क्रियान्वयन समिति भी बनाएं। उन्हें एक कार्यक्रम दीजिए। संसाधन उपलब्ध कराएं। यह काम दो, तीन, छह महीने या एक वर्ष में पूरा किया जाना चाहिए।
सेवादल, महिला और युवा कांग्रेस में 50-50 लाख लोगों को जोड़ने की बड़ी चुनौती दीजिए, साथ ही सही लोगों और सही संसाधनों वाली एक समिति बनाइए, जिसके माध्यम से प्रबंधन और निगरानी हो सके। आजकल होता यह है कि बातचीत तो होती है, लेकिन कोई नहीं जानता कि इसकी निगरानी कौन कर रहा है। फिर अगले सत्र तक कुछ नहीं होता और फिर नया सत्र आता है और नई चर्चाएं होती हैं।
आप देखिए, EVM और मतदान को लेकर लंबे समय से विवाद और बहस चल रही है। इसके लिए बहुत सारे दस्तावेज थे। समाज ने काम किया, अन्य दलों ने काम किया, लेकिन अब तक परिणाम क्या रहा? अभी तक कोई स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं हुआ है। आज देश की जो स्थिति है उसके लिए कांग्रेस अकेले जिम्मेदार नहीं है। इसके लिए कई पार्टियां जिम्मेदार हैं।

सवाल: कांग्रेस आज सेवादल 500 कार्यकर्ताओं तक सीमित क्यों है? जवाब: हम अब सेवा क्षेत्र को मजबूत करेंगे’, यह बात मैं पिछले 20 वर्षों से सुनता आ रहा हूं। सेवाकर्मियों का कहना है कि अगर हम सदस्यों की संख्या 500 से बढ़ाकर 5,000 कर दें तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मैं सेवादल से पूछना चाहता हूं कि क्या आप इसे 50 लाख तक ले जा सकते हैं?
इतने बड़े देश में, यदि आपके पास 5 मिलियन सेवा सदस्य नहीं हैं, तो आप सेवा नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी को सेवादल को मजबूत करना होगा। लोगों को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठों में रखा जाना होगा। हमें महिला प्रकोष्ठ, ओबीसी प्रकोष्ठ, दलित प्रकोष्ठ समेत सभी प्रकोष्ठों में लोगों को रखकर सभी को संवेदनशील बनाना होगा।
यह जागरूकता से नहीं, बल्कि भीतर से आना चाहिए। यह कार्य बहुत कठिन है, क्योंकि जागरूकता भीतर से लानी पड़ती है। गांधीजी हमेशा अपने लिए बोलते थे, कहते थे, ‘अपने आप को मजबूत और सरल बनाओ।’ यदि आप अपने समुदाय में सेवा नहीं करते हैं तो आप सैन्य बल में कैसे शामिल हो सकते हैं?
अब स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग पूछ रहे हैं कि इसमें हमारा क्या फायदा है? हमें क्या मिलेगा? आपको कोई चीज कितनी जल्दी मुफ्त मिलेगी? अगर हमें वेतन नहीं मिलता तो हम काम क्यों करें? यह भावना आपको गांधी की विचारधारा से नहीं जोड़ सकती। आपकी भावना ऐसी होनी चाहिए कि आपको दूसरों की सेवा करने में आनंद आए। दूसरों की सेवा करने से आपको भी लाभ मिले।

राजीव गांधी की सरकार के समय देश में टेलीकॉम क्रांति के जनक हैं सैम पित्रोदा।
सवाल: आज कांग्रेस के कौन से नेता गांधी जी के विचारों का अनुसरण कर रहे हैं? जवाब: मैं गुजरात के नेताओं को बहुत करीब से नहीं जानता, लेकिन राहुल गांधी को थोड़ा-बहुत जानता और समझता हूं। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि गांधीजी राहुल गांधी में निवास करते हैं।
मेरी राहुल गांधी से कई बार बातचीत हुई है, वह लोकतंत्र, विकेंद्रीकरण, मानवता, सत्य, भाईचारे और प्रेम में विश्वास रखते हैं। वे जानते हैं कि समता, समानता और समावेशन ही देश के लिए आगे का रास्ता है। हमें सबको साथ लेकर चलना होगा। राहुल गांधी अल्पसंख्यकों, दलितों, ओबीसी को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी बहुत साधारण और प्रतिबद्ध व्यक्ति हैं। मैं उनके प्रति बहुत सम्मान रखता हूं। ये लोग हिप्पोक्रेट नहीं हैं। दूसरे लोग कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। गांधीवादी होना इतना आसान नहीं है। हर बार सच से लड़ना संभव नहीं है।
विशेषकर ऐसे समय में जब सरकार सच्चाई के खिलाफ है, जब सरकार हर संस्था को नियंत्रित करती है। आप देखिए कि राहुल गांधी के खिलाफ कितने मामले दर्ज किए गए हैं। कुछ मामले तो 10-11 साल से चल रहे हैं। यह एक प्रकार का उत्पीड़न है।

सवाल: कांग्रेस गुजरात और देश में क्या कर सकती है जिससे वह पार्टी को नई दिशा दिखा सके? जवाब: गुजरात ने हमेशा देश को सही और सीधी दिशा दी है। सबसे पहले गुजरात को देश को यह दिखाना होगा कि हम सब एक हैं। हम सब मिलकर आगे बढ़ेंगे। हम किसी भी धर्म के लोगों के बीच भेदभाव नहीं करेंगे। मैं आपसे हाथ मिलाकर कहना चाहता हूं कि धर्म को राजनीति में मत लाइए। यह एक व्यक्तिगत मामला है, लेकिन जब आप समाज में आते हैं, तो आप सभी इंसान होते हैं। हमें दूसरे मनुष्यों का सम्मान करना चाहिए। यह पहली बात है।
दूसरी बात यह है कि दलितों और ओबीसी को आगे लाना होगा। हमें उन्हें मंदिर में प्रवेश करने और अपने घरों से पानी पीने की अनुमति देनी होगी, क्योंकि वे सभी हमारे हैं। हमें उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए मानो वे अलग हैं। तीसरी बात यह है कि सब कुछ विकेन्द्रित होना चाहिए। क्योंकि जो कच्छ में काम करता है, वह सूरत में काम नहीं करेगा। मैं जानता हूं कि वडोदरा अलग है, इसलिए यहां सार्थक नौकरियां पैदा होनी चाहिए।
चौथी बात यह है कि आपको सोशल मीडिया पर ज्यादा समय नहीं बिताना चाहिए। कुछ नई तकनीकें सीखें और एक नया रचनात्मक कार्य सृजित करें। आजकल एआई के बारे में बहुत चर्चा हो रही है। हमें यह पता लगाना होगा कि एआई किस प्रकार हमारा काम तेजी से और बेहतर ढंग से करने में हमारी मदद कर सकता है। यह एक उपकरण दुनिया बदल देगा। क्या हम इसके लिए तैयार हैं?
पांचवी बात यह है कि आज जो लोग दुनिया को चला रहे हैं, वे पुराने जमाने के लोग हैं। आप मोदी और ट्रम्प को देखिए। यदि आप किसी भी वैश्विक नेता को लें, तो उनकी विचारधारा उनके बचपन से ही जुड़ी हुई है। उनकी विचारधारा हमारे पोते-पोतियों जैसी नहीं है। उन्हें यह सोचना होगा कि इन बच्चों का भविष्य कैसा होगा।हमारे पोते-पोतियों को हिंदू-मुस्लिम में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे नवाचार में रुचि रखते हैं। नई प्रौद्योगिकियों और नई नौकरियों में रुचि है, इसलिए हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है कि उनकी दुनिया कैसे बनाई जाए। आज, ये सभी नेता इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि अपनी दुनिया को कैसे आकार दिया जाए। ये पांचों बातें गांधीजी से जुड़ी हुई हैं। कांग्रेस को इन पर ध्यान देना चाहिए।

सवाल: लोग गांधीजी की विचारधारा से दूर क्यों जा रहे हैं? जवाब: मेरा मानना है कि सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी ने गलत जानकारी और गलत छवियां बनाकर गांधीजी की विचारधारा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। फिर चाहे बात गांधीजी की जीवनशैली की हो या उनकी निजी जीवन की। गांधीजी बहुत सरल व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन में प्रयोग किए हैं। उन्होंने कुछ सीखा है। वे बहुत पारदर्शी थे।
आप देख रहे हैं कि साबरमती आश्रम कितना सरल है, जो गांधीजी की सादगी को दर्शाता है। वे रक्षा में विश्वास रखते थे। गांधीजी ने 80 साल पहले स्थिरता की बात की थी। यह आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है, लेकिन लोग आज इसे नहीं चाहते, लेकिन मुझे विश्वास है कि 20, 25 या 50 साल बाद लोग स्थिरता के बारे में बात करेंगे।

सवाल: आज की वैश्विक राजनीति में आप गांधीजी के विचारों को किस प्रकार देखते हैं? जवाब: आज न केवल भारत को बल्कि विश्व को गांधीजी की जरूरत है। आज दुनिया में असाधारण घटनाएं घट रही हैं। अधिनायकवाद का प्रभाव बढ़ रहा है, जो गांधीजी की विचारधारा से बहुत अलग है। यह एक वैश्विक चुनौती है। प्रौद्योगिकी ने हमें सोशल मीडिया दिया। सोशल मीडिया के कारण हमारी दुनिया बदल गई है। सोशल मीडिया ने ऐसा माहौल बनाया जिससे झूठ और भय फैलने लगा है। अमीर और तानाशाह एक साथ आ गए हैं। देखिए कि कैसे अमेरिका में हर दिन एलन मस्क के बारे में कुछ न कुछ सुनने को मिल रहा है।
वैश्विक नेता एक-दूसरे से मिलते हैं, लेकिन वे इस बारे में बात नहीं करते। क्या आपने कभी किसी को गरीबी और भुखमरी के बारे में बात करते सुना है? हर कोई सौदे कर रहा है। आज दुनिया में हर कोई शक्ति और लाभ पर केंद्रित है। यदि आप शक्तिशाली हैं, तो आपको महत्व मिलेगा। हम अरबपतियों की सूची प्रकाशित करते हैं, लेकिन हमने कभी भी अच्छे शिक्षकों, डॉक्टरों या सामाजिक कार्यकर्ताओं की सूची प्रकाशित नहीं की है। हमने कभी भी विश्व के 400 सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों की सूची प्रकाशित होते नहीं देखी। गांधीजी ने कहा कि ग्रह और जनता पर ध्यान केंद्रित करें। इसके लिए गांधीजी ने स्थिरता और संरक्षण पर बहुत ध्यान दिया।
अमेरिका में गरीबों की हालत भी खराब है। यहां भी उन्हें जेल में डाला जा रहा है। यदि आप कुछ भी कहेंगे तो वे आपके पीछे एफबीआई लगा देंगे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि अमेरिका में ऐसा होगा। गांधीजी हमेशा विकेंद्रीकरण की बात करते थे, क्योंकि हर जगह स्थानीय समस्याएं अलग-अलग होती हैं। झारखंड में जो समस्या है, वह गुजरात में नहीं है। यह गुजरात में है, तमिलनाडु में नहीं। हर जगह की समस्याएँ अलग-अलग हैं। स्थानीय लोग इस समस्या का उत्तर सबसे अच्छी तरह जानते हैं।

सवाल: आपके अनुसार देश की मुख्य समस्याएं क्या हैं? जवाब: हमारे देश में 20 करोड़ मुसलमान हैं। यह बहुत बड़ी संख्या है। वे भी हमारे भाई हैं। किसी से बात करें तो लोग धर्म को लेकर आपस में भिड़ जाते हैं। लोग हिंदू और मुसलमान के नाम पर बंटे हुए हैं। समझने वाली पहली बात यह है कि सभी धर्म समान हैं। सबको मिलजुलकर रहना होगा। यह कोई बहुत जटिल बात नहीं है। लेकिन आज धर्म के नाम पर लोगों को लड़ाया जा रहा है, जिससे देश को बहुत नुकसान हो रहा है, क्योंकि इससे आर्थिक गतिविधियां कम हो रही हैं। विकास पर बहुत कम ध्यान दिया गया है। यही बात अन्य देशों में भी हो रही है। यदि आप अमेरिका को देखें तो आप्रवासन, टैरिफ, वैश्वीकरण और आतंकवाद पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन कोई भी भूख, गरीबी, बेघरपन और नशीली दवाओं जैसी वास्तविक समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है।
दिल्ली सरकार सभी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती। अभी तो ऐसा लग रहा है जैसे प्रधानमंत्री कार्यालय को सब कुछ पता है और सारे जवाब वहीं से आते हैं। आज ऐसा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि हर जगह हुआ है। इसलिए, गांधीजी की विचारधारा आम आदमी, गरीब, मध्यम वर्ग और अल्पसंख्यकों को आशा देने वाली है। एक विचारधारा यह कहती है कि आपको भी इसमें योगदान देना होगा और काम करना होगा और इसी से आप प्रगति करेंगे। यह प्रगति सिर्फ शक्तिशाली और अमीर लोगों के लिए नहीं है।

आज के नेताओं को झूठ बोलने का कोई डर नहीं है। क्या वे लोग मानते हैं कि अगर हम झूठ बोलेंगे और लोगों को बेवकूफ बनाएंगे तो क्या फर्क पड़ेगा? आज के नेताओं को डर फैलाने में कोई शर्म नहीं है। वे समाज को धर्म, भाषा, जाति और रंग के आधार पर बांट रहे हैं। लोग फैशन, पैसा और शक्ति के प्रति आसक्त हैं। कोई भी समाज के लिए काम नहीं करना चाहता। आजकल “सेवा” शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता। आज बहुत कम लोग सेवा कर रहे हैं। गांधीजी का सेवा दल क्या था? यह एक बलिदान था, जिसमें लोग स्वयं का बलिदान देकर दूसरों की मदद कर सकते थे।
आज न्यायपालिका को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारे यहां 30 से 50 मिलियन मामले अदालत में लंबित हैं। क्या यह कोई न्याय है? लोगों को 15 साल से न्याय नहीं मिला है। यह समस्या हल क्यों नहीं हो रही है? हम सकल घरेलू उत्पाद को एक प्रतिशत कैसे बढ़ा सकते हैं?
हम नए रोजगार कैसे सृजित कर सकते हैं? आज शिक्षा की गुणवत्ता इतनी खराब है कि ग्रेजुएट ठीक से संवाद भी नहीं कर पाते। इतने वर्षों और खर्चों के बाद भी, क्या शिक्षा आपको एक अच्छा नागरिक नहीं बना सकती? जब तक हम गरीबों की सेवा नहीं करेंगे, हम आगे नहीं बढ़ सकते।
सवाल: जब भी आप कोई बयान देते हैं तो उसका विरोध होता है। ऐसा क्यों है? जवाब: मैं 60 वर्षों से विदेश में रह रहा हूं, इसलिए मेरी विचारधारा भिन्न हो सकती है। यह मेरी गलती नहीं है। मेरे बड़े भाई कभी-कभी मुझसे कहते थे कि तुम बदल गए हो, और मैं कहता था, हां, यह सच है। और क्या कह सकते हैं?
मेरे वातावरण ने मुझे बदल दिया है। जो आप सही मानते हैं वह मेरे लिए सही नहीं हो सकता। यदि मैं आपकी तरह सोचता तो आज मेरे पास 150 पेटेंट नहीं होते। मैंने देखा है कि जब भी मैं कुछ कहता हूं तो उसे तोड़-मरोड़ कर विवाद में बदल दिया जाता है।