रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) फर्जी पैनल जारी होने के मामले की जांच करने गोरखपुर पहुंची सेंट्रल विजिलेंस (रेलवे बोर्ड की विजिलेंस टीम) दूसरे दिन भी जमी रही। RRB कार्यालय पहुंचकर टीम ने निलंबित चेयरमैन नुरुद्दीन अंसारी के कार्यकाल में हुई भर्तियों से जुड़े द
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निलंबित चेयरमैन नुरुद्दीन अंसारी।
9 अभ्यर्थियों का ही था पैनल रेलवे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद RRB गोरखपुर को मार्डन कोच फैक्ट्री के लिए जो पैनल दिया गया था, वह 9 लोगों का ही था। लेकिन उनमें से दो अभ्यर्थियों को कहीं और नौकरी मिल गई थी। RRB से जब उनके पास डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन के लिए फोन गया तो उन्होंने दूसरी नौकरी के बारे में बताया था। सूत्रों का कहना है कि जैसे ही यह जानकारी हुई कि दो अभ्यर्थी नहीं आएंगे, यहां से दो नाम जोड़ दिए गए।
दर्ज हो सकती है FIR इस मामले में दोनों युवकों पर FIR दर्ज हो सकती है। नुरुद्दीन अंसारी की ओर से अक्टूबर में लिखे गए पत्र में विधिक कार्रवाई की संस्तुति भी की गई थी। सेंट्रल विजिलेंस की जांच चल रही है। इस मामले में विजिलेंस की ओर से भी केस दर्ज कराया जा सकता है। इसके साथ ही दोनों कर्मचारियों पर भी केस दर्ज हो सकता है। नुरुद्दीन अंसारी के निलंबन के बाद कार्यभार ग्रहण करने वाले अवधेश कुमार ने कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति कर दी है।
RRB में तैनात रहे कर्मियों के पुत्र हैं दोनों दोनों फर्जी नाम जिनके हैं, वे RRB में ही तैनात रहे दो कर्मचारियों के पुत्र हैं। चर्चा है कि दोनों कर्मचारियों की इसमें मिली भगत थी। लेकिन पैनल पर चेयरमैन के हस्ताक्षर होने से उनपर कार्रवाई हुई है। कार्यालय अधीक्षक व पैनल इंचार्ज चंद्रशेखर आर्य के पुत्र राहुल प्रताप व निजी सचिव द्वितीय राम सजीवन के पुत्र सौरभ के नाम शामिल किए गए थे। इसमें चंद्रशेखर सेवानिवत्त हो चुके हैं जबकि राम सजीवन का ट्रांसफर सिग्नल कार्यालय में कर दिया गया है। कर्मियों पर अभी कोई सीधी कार्रवाई नहीं दी गई है।
बढ़ रहा जांच का दायरा, खुलेंगी कई परतें RRB में हुए फर्जीवाड़े की जांच का दायरा बढ़ रहा है। इस फर्जीवाड़े से इस बात का संदेह पैदा हुआ है कि अन्य भर्तियों में भी कुछ गड़बड़ी हो सकती है। इसीलिए विजिलेंस की टीम ने सभी दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। इस गड़बड़ी के लिए सीधे तौर पर कौन जिम्मेदार है, इसका पता भी लगाया जा सकता है। माना जा रहा है कि केवल दो कर्मचारी अपने बूते इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं कर सकते हैं। इसमें कुछ और लोगों की भूमिका को भी संदिग्ध माना जा रहा है। किसके क्या अधिकार हैं, यह भी देखा जा रहा है।