नवादा में 18 सितंबर की रात दबंगों ने 35 घरों को फूंक दिया। सभी घर महादलित जाति से आने वाले लोगों के थे। इसके बाद जाति की राजनीति शुरू हो गई है। क्योंकि, बिहार में दलितों का वोट बैंक 19 फीसदी है। अन्य जातियों की तुलना में यह सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर
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नवादा में 19 फीसदी वाले दलितों का घर जला है। इस पर सबसे पहले दलित नेता जीतन राम मांझी ने सियासी बयान दिया। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मांझी ने इस घटना को यादव जाति से जोड़ा। 14.26 फीसदी वाली यादव जाति एनडीए का कोर वोट बैंक नहीं है। यादव जाति का नाम आते ही तेजस्वी यादव ने पलटवार किया।
बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव है। इससे पहले सीएम नीतीश कुमार प्रदेश में जमीन सर्वे करवा रहे हैं। इसके जरिए वे जमीन विवादों को कम करने का दावा कर रहे हैं। वहीं, विपक्ष इस पर लगातार रोक लगाने की मांग कर रही है। इस बीच नवादा के दलित बस्ती में आग लगाने के मुद्दे को हर पार्टी अपने पक्ष में लाना चाहती है। नजर 19 फीसदी वोट बैंक पर है।
इस रिपोर्ट में पढ़िए बिहार में जातीय राजनीति का आधार क्या है। कौन सी पार्टी किसी जाति के वोट बैंक पर राजनीति कर रही है। नवादा में दलित बस्ती में अग्निकांड का सियासी एंगल क्या है।
देश में सबसे पहले बिहार में ही दलित से महादलित निकले थे
देश के किसी भी राज्य में महादलित नहीं हैं। बिहार में 2007 में सीएम नीतीश कुमार ने दलितों में से एक अलग कैटेगरी महादलित बनाई थी। इसमें 18 वंचित दलित जातियों को जगह दी गई थी। पासवान और धोबी को इससे अलग रखा गया था। इसका विरोध भी दलित नेता रामविलास पासवान ने किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि महादलित शब्द ही गलत है।
एक साल बाद 2008 में धोबी और पासी जाति को महादलित में शामिल किया गया। फिर 2009 में रविदास जाति को इसमें रखा गया। 2018 में पासवान जाति को भी महादलित में ही रख लिया गया। अभी महादलित में 22 जाति शामिल है।
महादलित की 4 जातियां संपन्न
महादलित की 22 जाति में चार आर्थिक और सामाजिक तौर पर मजबूत मानी जाती है। इसमें पासवान, रविदास(चमार), रजक और पासी हैं। जबकि, सबसे खराब स्थिति में मुसहर, धाकड़, नट जैसी जातियां है। दलित की राजनीति करने वाले जीतन राम मांझी महादलित में मुसहर जाति से आते हैं। वे दलित की ही राजनीति करने वाले चिराग पासवान की जाति पासवान को संपन्न मानते हैं। यही वजह है कि आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने चिराग पासवान से अलग स्टैंड लिया था।
कई वर्ष से एक साथ रहते हैं चमार और मुसहर जाति के लोग
नवादा अग्निकांड में महादलित का मामला आते ही सबसे पहले जीतन राम मांझी ने सियासी बयानबाजी दी। उन्होंने 19 सितंबर को कहा कि ‘नवादा में मुसहर और चमार जाति के लोग वर्षों से एक जगह पर रह रहे हैं। लेकिन, विरोधी दल के यादव जाति के लोगों ने दुसाध जाति के एक-दो व्यक्ति को आगे करके वारदात को अंजाम दिया है।
पूरे बिहार में वे लोग अभियान के तहत शिड्यूल कास्ट(एससी) की जमीन पर कब्जा करके घर बना रहे हैं। मांझी ने यह भी कहा कि जब वे विधान सभा में थे, तब कहा था कि बिहार में 70 फीसदी पर्चा वाली जमीन एक पार्टी विशेष के लोगों के कब्जे में है।’
यादव जाति का नाम आते ही तेजस्वी ने पलटवार किया
तेजस्वी यादव ने कहा कि मांझी बीजेपी के चंगुल में हैं। उनके समर्पित कार्यकर्ता हैं। जीतन राम मांझी केंद्र मंत्री हैं तो बेटे बिहार सरकार में मंत्रालय संभाल रहे हैं। वहीं, तेजस्वी ने जीतन राम मांझी का टाइटल शर्मा बता कर भूमिहार जाति की ओर इशारा किया। भूमिहार वर्ग आरजेडी को मुश्किल से वोट करता है। तेजस्वी इस बात को जानते हैं। लेकिन, वे ए टू जेड की बात भी करते रहे हैं। बिहार में भूमिहार वोट बैंक 2.89 परसेंट है।
मांझी ने मुसलमान का भी एंट्री कराया
तेजस्वी के बयान के बाद जीतन राम मांझी ने अपने कोर दलित वोट बैंक को ताकतवर करने की कोशिश की। साथ ही नवादा की घटना को मुसलमान और दलित की राजनीति तक ले गए। मुसलमानों को लेकर मांझी ने कहा कि ‘पूरे बिहार में दलितों की जमीन पर और मुसलमानों के कब्रिस्तानों पर किस पार्टी के समर्थकों का कब्जा रहा है। यह सभी को पता है। आपने और आपके लोगों ने बहुत दबा दिया हम लोगों को, अब करारा जवाब मिलेगा।’
मांझी और तेजस्वी के आमने-सामने होने में जातीय राजनीति को समझिए
दरअसल, जीतन राम मांझी महादलित की 19 फीसदी आबादी पर दावा करते हैं। कोर वोट बैंक मानते हैं। नवादा में अग्निकांड में महादलितों के घर ही जलाए गए हैं। इस पर तत्काल बयान देकर उन्होंने खुद को महादलितों का हितैशी बताया।
वहीं, उन्होंने यादव का भी नाम लिया। क्योंकि, 14.26 फीसदी वाली यादव जाति के वोट बैंक पर लालू प्रसाद का दावा रहता है। बिहार में लालू प्रसाद यादवों के सबसे बड़े नेता हैं। यही वजह है कि नेता प्रतिपक्ष ने मांझी के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने यादव जाति पर उठे सवाल का जवाब दिया।
मुसलमानों का वोट बैंक बिहार में 17.7 फीसदी है। जीतन राम मांझी को पता है कि कब्रिस्तान की जमीन का सवाल उठाकर भी वे मुसलमानों को एनडीए की तरफ नहीं ला सकते हैं। इसके बावजूद उन्होंने मुसलमानों को बताना चाहा है कि उनके कब्रिस्तानों पर किस पार्टी के लोगों का कब्जा है।
कौन सी पार्टी के पास किस जाति का जनाधार है
बिहार की राजनीति का बड़ा सच जाति है। यहां हर नेता के पास अपना-अपना वोट बैंक है। वे अपनी जाति की वजह से पार्टी में जगह पाते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक कुर्मी-कोयरी है। इसके अलावा अति पिछडों और महिलाओं के वोट पर भी उनकी खास पकड़ है।
लालू प्रसाद की पकड़ यादव और मुसलमानों पर है। लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा (कोयरी) वोट बैंक में भी सेंधमारी की कोशिश की गई थी। परिणाम के बाद भी आरजेडी ने लोकसभा में संसदीय दल का नेता अभय कुशवाहा को बनाया।
बीजेपी का कोर वोट बैंक सवर्ण है। इसके अलावा वैश्य जाति के लोगों का भी वोट बैंक है। लेकिन, इस बार लोकसभा चुनाव में सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी कुशवाहा कार्ड पहले खेल चुकी है। उपेन्द्र कुशवाहा, काराकाट से लोकसभा चुनाव हार गए तो उन्हें राज्यसभा भी भेजा गया है। बीजेपी का कोर वोट बैंक सवर्ण है। इसमें वैश्यों का भी वोट बैंक शामिल है।
दलितों के वोट बैंक पर चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की पकड़ रही है। लोजपा (रामविलास) और हम पार्टी दलितों की राजनीति करती है। बिहार में दलितों का वोट बैंक 19 फीसदी है। यही वजह है कि बीजेपी एनडीए में दोनों को रखती है। बिहार में दलित वोट बैंक और अति पिछड़ा वोट बैंक पर माले की भी पकड़ रही है।
आरक्षण के जरिए जातीय वोट बैंक पर ही नजर
आरक्षण ने बिहार में जाति की राजनीति को कमजोर नहीं होने दिया। मंडल-कमंडल की राजनीति के दौर में भी लालू प्रसाद ने लाल कृष्ण आडवाणी का राम रथ रोका था। लालू प्रसाद के बाद आरक्षण की राजनीति को तेजस्वी यादव ताकत दे रहे हैं। नीतीश-तेजस्वी सरकार में इसी वजह से जातीय सर्वे कराया गया था।
आंकड़ों के अनुसार जाति आरक्षण का दायरा बढ़ा कर 65 फीसदी किया गया है। इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग केन्द्र की सरकार ने नहीं मानी। दूसरी तरफ मामला कोर्ट में गया था। पटना हाईकोर्ट ने इसे गलत करार देते हुए इस पर रोक लगा दी।
अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। आरजेडी ने आरक्षण के बढ़े दायरे को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पूरे बिहार के जिलों में धरना-प्रदर्शन किया है। तेजस्वी यादव खुद पटना में धरना पर बैठे थे। आरजेडी भी इसको लेकर कोर्ट गई हुई है। वजह साफ है आरक्षण के जरिए जाति की राजनीति को मजबूती से बनाए रखना।
एससी आरक्षण में कोटा को लेकर मांझी और चिराग का अलग स्टैंड था
एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को प्रभावित करने वाला फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि कोटे में कोटा यानी आरक्षण के भीतर आरक्षण होना चाहिए। कोर्ट ने एससी, एसटी वर्ग के आरक्षण में से क्रीमी लेयर को चिन्हित कर बाहर करने को कहा था। इसके बाद एनडीए के अंदर ही चिराग पासवान और जीतन राम मांझी बंटे हुए दिखे थे। चिराग पासवान ने इसका विरोध किया था।
वहीं, जीतन राम मांझी ने एससी-एसटी आरक्षण में कोटा के अंदर कोटा बनाने और क्रीमी लेयर का समर्थन किया था। जबकि, आरजेडी की ओर से तेजस्वी यादव ने कहा था कि ‘बाबा साहब अंबेडकर ने जिस आधार पर आरक्षण दिया था, वही ठीक है। क्रीमी लेयर की बात ही नहीं करनी चाहिए। एससी एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर की कोई गुंजाइश नहीं है।’ तेजस्वी ने यह भी सवाल उठाया था कि जीतन राम मांझी का परिवार क्रीमी लेयर में आता है कि नहीं
प्रशांत किशोर भी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी देंगे
बिहार की राजनीति में जाति का प्रभाव इतना है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जनसुराज बनाया तो लोगों से वादा किया है। उन्होंने कहा है कि जिसकी जितनी आबादी, उसको उतनी हिस्सेदारी देंगे। तेजस्वी यादव का मुसलमान वोट बैंक उनके निशाने पर है। वहीं, उन्होंने कहा है कि 40 सीट मुसलमानों को देंगे। वहीं, उन्होंने अपनी पार्टी का अध्यक्ष किसी दलित को बनाने की भी बात कही है।
जाति पर जदयू के 2 और भाजपा के 1 नेता का बयान सुर्खियों में रहा
नंबर-1
अशोक चौधरी ने भूमिहार जाति पर बयान दिया जेडीयू नेता अशोक कुमार चौधरी ने कहा था- ‘जो सिर्फ पाने के लिए नीतीश जी के साथ रहते हैं। हमें वैसे नेता नहीं चाहिए। हम भी कोई विदेश के नहीं हैं। हम भी जहानाबाद से ही हैं। मेरी बेटी की शादी भी भूमिहार में हुई है। हम भूमिहारों को अच्छी तरह से जानते हैं।’
नंबर-2
जदयू सांसद देवेशचंद्र ठाकुर ने यादव-मुसलमान पर बयान दिया सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा था कि यादव और मुसलमानों का स्वागत है। आइए, चाय पीजिए, मिठाई खाइए। काम के बारे में मत बोलिये। मैं आपका काम नहीं करूंगा।
नंबर-3
संजय पासवान ने दलित समाज से सीएम की मांग की बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने कहा था कि ओबीसी मुख्यमंत्री का समय समाप्त हो गया है। अब दलित समाज से मुख्यमंत्री बनना चाहिए। बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है। सभी को मौका मिला। अब दलितों को भी मिलना चाहिए।
बिहार पुराने दौर में नहीं लौटे यह ध्यान रखना चाहिए
राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी ने यह भी कहा कि नवादा की घटना के बाद जिस तरह के राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हुआ है। वह दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे यह पता चलता है कि ऐसी घटनाओं के पीछे कैसी संवेदनशीलता है। जिनके घर जल गए हैं उनके दुख पर मलहम लगाने की बजाय भड़काऊ बातें की जा रही है।
दलित ने ही दलित को टारगेट किया
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने यह भी कहा कि नवादा में दलित ने ही दलित को टारगेट किया है। यह सबसे दुखद बात है। तेजस्वी यादव ने जीतन राम मांझी को जीतन राम शर्मा कह दिया यह ठीक नहीं है। किसी भी दल के नेता को ऐसे बयान नहीं देना चाहिए। जीतन राम मांझी तो केन्द्र में मंत्री हैं और दलित हैं। उन्हें ऐसे बयान नहीं देना चाहिए। जाति की राजनीति को साधने में सभी नेता लगे हुए हैं।