नई दिल्ली47 मिनट पहले
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सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर कैश ऑन डिलीवरी ऑर्डर्स पर एक्स्ट्रा चार्ज लगाए जाने की औपचारिक जांच शुरू कर दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ‘ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा सीओडी पर अतिरिक्त शुल्क लगाना एक तरह का ‘डार्क पैटर्न’ है। इस साल प्राप्त शिकायतों के बाद विभाग ने जांच तेज कर दी है।’
जोशी के मुताबिक, सीओडी पर ज्यादा पैसे लेना ड्रिप प्राइसिंग का उदाहरण है। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 13 डार्क पैटर्न्स में से एक है। जुलाई में जेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ सोशल मीडिया पर शिकायतें सामने आईं, जहां चेकआउट पर ‘कैश हैंडलिंग फीस’ जोड़ी गई।
मंत्री ने कहा, ‘प्लेटफॉर्म्स की गहन जांच होगी। ग्राहकों के अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई पक्की की जाएगी, ताकि ई-कॉमर्स में पारदर्शिता बनी रहे।

इन डार्क पैटर्न्स का ज्यादा ट्रेंड
- ड्रिप प्राइसिंग: ऑर्डर के अंतिम चरण में छिपे शुल्क जोड़ना
- फॉल्स अर्जेंसी: ‘केवल 1 आइटम बचा’ जैसे झूठे संदेश
- सब्सक्रिप्शन ट्रैप्स: आसानी से रद्द न होने वाली मेंमरशिप
ये तरीके अपनाना नियमों का उल्लंघन है। इसमें सीओडी पर एक्स्ट्रा चार्ज भी शामिल है। जांच में दोषी पाए जाने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माना और अन्य कार्रवाई की जा सकती है।

यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन के खरीदारी का टैक्स इनवॉयस है, जिसमें COD करने पर 10 रुपए का एक्स्ट्रा चार्ज लिया गया है।
ऑनलाइन सामान मंगाने से जुड़े कुछ सवालों के जवाब…
सवाल 1: ऑनलाइन खरीदारी में डिफेक्टिव या अलग प्रोडक्ट मिले तो क्या करें?
जवाब- ऐसी स्थिति में ग्राहक को सबसे पहले सबूत के तौर पर प्रोडक्ट की फोटो और वीडियो बनानी चाहिए। फिर शॉपिंग एप या वेबसाइट पर जाकर रिटर्न-रिप्लेसमेंट के लिए रिक्वेस्ट दर्ज करानी चाहिए। ज्यादातर कंपनियों के पास 7 से 10 दिन की रिटर्न पॉलिसी होती है।
सवाल 2: क्या ग्राहक को बिना कारण बताए भी सामान लौटाने का अधिकार है?
जवाब- यह पूरी तरह से उस ई-कॉमर्स वेबसाइट की रिटर्न पॉलिसी पर निर्भर करता है। कुछ वेबसाइट्स पर ‘नो-क्वेश्चन रिटर्न’ की सुविधा होती है, जहां ग्राहक बिना कारण बताए भी तय समय ( आमतौर पर 7 या 10 दिन) के भीतर सामान लौटा सकता है। हालांकि कई बार अंडरगार्मेंट्स, पर्सनल केयर आइटम्स या कस्टमाइज्ड ऑर्डर्स इसमें शामिल नहीं होते हैं। इसलिए खरीदारी से पहले वेबसाइट की रिटर्न और रिफंड पॉलिसी को ध्यान से पढ़ना जरूरी है।
सवाल 3: कंपनी रिफंड देने में आनाकानी या देरी करे तो क्या करना चाहिए?
जवाब- ग्राहक को सबसे पहले अपने सारे रिकॉर्ड्स संभाल कर रखने चाहिए। जैसे ऑर्डर की रसीद, कस्टमर केयर के कॉल या चैट के स्क्रीनशॉट, ईमेल का प्रूफ आदि। अगर कंपनी बार-बार रिफंड टाल रही है या जवाब नहीं दे रही है तो इसके बाद इन कदमों को उठाएं-

सवाल 4: ऑनलाइन शॉपिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- ऑनलाइन शॉपिंग करते इन बातों का विषेश ध्यान रखना जरूरी है…
- विश्वसनीय वेबसाइट चुनें: केवल जानी-मानी और सुरक्षित वेबसाइट्स (जैसे HTTPS प्रोटोकॉल वाली) से खरीदारी करें। ग्राहक रिव्यू और रेटिंग्स पढ़ें।
- प्रोडक्ट डिस्क्रिप्शन पढ़ें: उत्पाद का विवरण, साइज, मटेरियल, और रिटर्न पॉलिसी ध्यान से पढ़ें।
- प्राइस कंपेयर करें: अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कीमतों की तुलना करें और डिस्काउंट ऑफर्स की प्रामाणिकता जांचें।
- सेफ पेमेंट करें: क्रेडिट कार्ड या ट्रस्टेड डिजिटल वॉलेट का उपयोग करें; अनसेफ लिंक या अनजान पेमेंट मेथड से बचें।
- रिटर्न और रिफंड पॉलिसी समझें: खरीदारी से पहले रिटर्न, रिफंड, और डिलीवरी समय की शर्तें अच्छी तरह समझ लें।
सवाल 5: क्या ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह एक जैसे उपभोक्ता अधिकार हैं?
जवाब- हां, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से की गई खरीदारी में उपभोक्ता को एक जैसे कानूनी अधिकार प्राप्त हैं। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को भी स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है। कंपनियों को पारदर्शिता, क्वालिटी, सुरक्षित लेन-देन और रिटर्न पॉलिसी से जुड़े नियमों का पालन करना होता है।
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मिनटों में किराना पहुंचाने वाली क्विक कॉमर्स कंपनियां चुपचाप ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही हैं। इसके लिए डिलीवरी के अलावा हैंडलिंग चार्ज, मेंबरशिप फीस, रेन फीस, प्रोसेसिंग फीस, प्लेटफॉर्म फीस और व्यस्त समय में सर्ज चार्ज भी वसूले जा रहे हैं। यह सब स्टैंडर्ड डिलीवरी और प्लेटफॉर्म चार्ज से अलग है।
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