बदायूं राजकीय मेडिकल कॉलेज में इलाज न मिलने के चलते एक मासूम बच्ची की मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद कॉलेज प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है। चार डॉक्टरों को लापरवाही के आरोप में सज़ा दी गई है। दो को सस्पेंड किया गया, जबकि दो की संविदा समाप्त कर दी
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आइए जानते हैं पूरा मामला…
मूसाझाग के थलियानगला गांव निवासी नाजिम की 5 साल की बेटी शौफिया को तेज बुखार था। हालत बिगड़ने पर निजी डॉक्टर ने उसे हायर सेंटर रेफर किया। परिजन उसे बुधवार को मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि वहां स्टाफ ने उन्हें इधर-उधर दौड़ाया, लेकिन बच्ची को इलाज नहीं मिला। डॉक्टर क्रिकेट खेलते रहे और बच्ची की जान चली गई।
जांच कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार ने बच्ची की मौत की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी। कमेटी की रिपोर्ट में पाया गया कि बच्ची को जब मेडिकल कॉलेज लाया गया, तब ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. शलभ और डॉ. दिव्यांशी ड्यूटी पर मौजूद नहीं थे।
वहीं, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शर्मा और डॉ. इमरान की भी लापरवाही सामने आई। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर संविदा पर कार्यरत डॉ. शलभ और डॉ. दिव्यांशी, को बर्खास्त कर दिया गया। जबकि डॉ. अभिषेक शर्मा और डॉ. इमरान को सस्पेंड कर दिया गया।
प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर यह कार्रवाई की गई। फुटेज में चारों डॉक्टर अपनी ड्यूटी से नदारद पाए गए। बच्ची के परिजनों से भी बात की गई, जिनके बयान और ओपीडी रजिस्टर की जांच के बाद यह निर्णय लिया गया।
सीएमएस डॉ. अर्शिया मसूद का कहना है कि बच्ची ओपीडी तक पहुंची ही नहीं थी। बाल रोग विशेषज्ञ ड्यूटी पर थीं और क्रिकेट खेलने वाले डॉक्टरों का उस बच्ची से कोई संबंध नहीं था।