आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने मंगलवार को तीन परीक्षा माफियाओं को पकड़ा। तीनों परीक्षा माफिया-सोहसराय का अमन कुमार, वैशाली का सुचिंद्र कुमार और नालंदा का करण कुमार सिपाही व शिक्षक बहाली पेपर लीक में शामिल थे। सिपाही बहाली की परीक्षा 1, 7 और 15 अक्टूबर 20
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संजीव मुखिया व ग्रामीण कार्य विभाग के निलंबित अकाउंटेंट विशाल चौरसिया ने पेपर लीक की साजिश रची। कोलकाता की ब्लेसिंग सिक्योर और कालटेक्स प्रिंटिंग प्रेस के निदेशकों से संपर्क किया। एक अक्टूबर की परीक्षा का पेपर के लिए कालटेक्स के निदेशक सुमन विश्वास को 1.50 करोड़ दिए गए।
कुछ पैसे सुमन की कंपनी एसएस इंटरप्राइजेज के खाते में डाले। अधिकांश कैश में दिए गए। 7 व 15 अक्टूबर की परीक्षा के बाद सुमन को और तीन करोड़ मिलते। ब्लेसिंग और कालटेक्स के निदेशकों में से कौशिक कर, सौरभ बंदोपाध्याय, सुमन विश्वास व संजय दास जेल में हैं।
अमन है संजीव मुखिया का भतीजा, करण ने प्रेस मालिक को भेजा था रुपया, सुचिंद्र है विशाल का दाहिना हाथ
हजारीबाग में पेपर रटाया
गिरफ्तार अमन परीक्षा माफिया संजीव का भतीजा है। संजीव मुखिया के बेटे डॉ. शिव के कमरे पर ही अमन और करण रहते थे। 15 मार्च की शिक्षक बहाली की परीक्षा से पूर्व 14 मार्च को अमन व करण 15-15 अभ्यर्थियों को पेपर रटाने के लिए हजारीबाग लेकर गए थे। करण के खाते से ही सुमन विश्वास के खाते में पैसा गया था। वहीं, सुचिंद्र परीक्षा माफिया विशाल का दाहिना हाथ है।
कई ठिकानों पर छापेमारी
मालूम हो कि सात से 28 अगस्त तक सिपाही बहाली की परीक्षा फिर से होगी। इसको लेकर ईओयू परीक्षा माफियाओं के खिलाफ तीन दिनों से अभियान चला रही है। फरार परीक्षा माफियाओं की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है। कई परीक्षा माफियाओं के घरों और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की गई है। इसी क्रम में ईओयू ने अमन, करण और सुचिंद्र को गिरफ्तार किया है।
भास्कर Insights- सुचिंद्र की मदद से उड़ाया था शिक्षक भर्ती पेपर, जेल से छूटे विशाल ने रची साजिश
विशाल चौरसिया बालासोर जेल से छूटने के बाद पटना आया था। इसके बाद उसने शिक्षक बहाली पेपर लीक कांड की साजिश रची। विशाल ने कोलकाता ग्रुप से संपर्क किया। इसमें प्रिंटिंग प्रेस मालिक कौशिक कर ने उसकी मदद की। प्रश्नपत्र के प्रिंटिंग प्रेस से लेकर जिलों तक पहुंचने की पूरी जानकारी सुचिंद्र को मिली। इसके बाद सुचिंद्र ने ट्रांसपोर्टेशन के दौरान पेपर उड़ाया।
इसमें उसकी अजय पासवान, विनोद कुशवाहा, पवन राजपूत ने मदद की। जांच में यह बात भी आई कि विशाल चौरसिया फुलवारीशरीफ में ऑनलाइन एग्जामिनेशन सेंटर भी चलता था। इसे सुचिंद्र ही देखता था। सुचिंद्र विशाल के साथ ओडिशा एसएससी पेपर लीक कांड में जेल गया था।