राजधानी समेत पूरे प्रदेश में 30 सितंबर से ड्राइविंग लाइसेंस और व्हीकल रजिस्ट्रेशन कार्ड बनना बंद हो गए हैं। बावजूद इसके कार्ड के नाम पर लोगों से 200 रुपए फीस ली जा रही है। लोग बिना कार्ड के फीस लेने का विरोध करने लगे हैं। हालांकि परिवहन विभाग अब तक
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विभाग की ओर से इस संबंध में सरकार को पत्र लिखकर पूछा गया है कि कार्ड के एवज में लगने वाली फीस लेना जारी रखना है या फिर बंद कर दिया जाए। अब विभाग को सरकार के जवाब का इंतजार है। इसके आधार पर ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो विभाग फीस लेने पर रोक लगाने की तैयारी में है। इस पर हफ्तेभर में निर्णय ले लिया जाएगा।
अभी कार्ड की जगह पीडीएफ दी जा रही
स्मार्ट चिप के काम छोड़ने से परेशानी : गौरतलब है कि तमाम आरटीओ कार्यालयों में कार्ड प्रिंटिंग का काम स्मार्ट चिप कंपनी की ओर से किया जा रहा था। लेकिन 88 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं होने के चलते कंपनी ने 30 सितंबर से काम करना बंद कर दिया है। ऐसे में अब आरटीओ में कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं।
ये हो सकती है व्यवस्था : राजस्थान समेत कुछ और राज्यों में कार्ड प्रिंट करके देने की व्यवस्था को स्थायी तौर पर खत्म किया जा चुका है। यहां संबंधित को पोर्टल पर कार्ड की पीडीएफ ही उपलब्ध कराई जाती है। आवेदक इसे डाउनलोड कर इसका इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान में राजस्थान मॉडल के आधार पर ही पूरे प्रदेश में पीडीएफ उपलब्ध कराई जा रही है।
^कार्ड नहीं बन रहे हैं, लेकिन कार्ड का पैसा लिया जा रहा है। पैसा लेना है या नहीं, इस संबंध में शासन को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा गया है। जो भी आदेश मिलेंगे, उसी आधार पर आगे कार्यवाही की जाएगी।’ -उमेश जोगा, डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, परिवहन विभाग
इन दो विकल्पों पर चल रहा विचार
पहला– पुरानी व्यवस्था के तहत फीस लेना जारी रखा जाए। जब भी नई कंपनी आकर काम शुरू करेगी तो इन सभी लोगों के कार्ड भी बनाकर उपलब्ध कराए जाएंगे। तब लोगों को अलग से फीस चुकाने के झंझट में नहीं पड़ना होगा।
दूसरा– कार्ड के एवज में ली जाने वाली फीस फिलहाल लेने पर रोक लगा दी जाए। जब कोई नई कंपनी कार्ड बनाने का काम संभाले, तब लोगों से फीस लेकर इनके कार्ड बनाए जाएं।