नई दिल्ली3 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारत राष्ट्र समिति (BRS) के 10 विधायकों के दल-बदल केस में सुनवाई की। कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर को आदेश दिया कि वह संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिकाओं पर 3 महीने में फैसला लें।
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चौहान की बेंच ने कहा, ‘हम ऐसी स्थिति को अनुमति नहीं दे सकते जहां ऑपरेशन सफल हो, लेकिन मरीज मर जाए।’
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के 22 नवंबर को दिए गए उस आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसमें सिंगल जज के स्पीकर को कार्यवाही का समय निर्धारण करने का निर्देश रद्द कर दिया गया था।

क्या है पूरा मामला?
- 2023 में तेलंगाना विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को बहुमत मिला और BRS सत्ता से बाहर हो गई।
- चुनाव के बाद BRS के 10 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए।
- BRS ने इसे दल-बदल कानून का उल्लंघन बताते हुए उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की।
- BRS ने विधानसभा अध्यक्ष को याचिका देकर इन विधायकों की अयोग्यता की मांग की, लेकिन अध्यक्ष ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया।
- इस देरी के खिलाफ BRS नेता पदी कौशिक रेड्डी ने तेलंगाना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अध्यक्ष से जल्द निर्णय लेने की मांग की।
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीआरएस को करारी शिकस्त दी थी। कांग्रेस को 119 में से 64 सीटें मिली थीं, जबकि बीआरएस, जिसने पिछली बार 88 सीटें जीती थीं, सिर्फ 39 सीटों पर सिमट गई। भाजपा और एआईएमआईएम को क्रमशः आठ और सात सीटें मिलीं।

BRS पहले हाईकोर्ट में फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची 10 विधायकों के पाला बदलने के बाद BRS ने हाईकोर्ट में अपील की थी। स्पीकर जी प्रसाद कुमार पर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगा। स्पीकर ने जवाब में कहा था कि हाईकोर्ट को इस मामले में आदेश देने का अधिकार नहीं है।
अयोग्यता की मांग करने वालों का तर्क था कि याचिकाओं में देरी से सत्ताधारी पार्टी को और विधायकों को तोड़ने का समय मिल जाएगा, जो लोकतंत्र के लिए घातक है।
BRS नेता केटी रामा राव और पडी कौशिक रेड्डी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। एक याचिका में तीन विधायकों को अयोग्य करार देने संबंधी तेलंगाना हाईकोर्ट के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है, जबकि एक अन्य याचिका, दल-बदल करने वाले बाकी के 7 विधायकों को लेकर दायर की गई थी।