Britain may recognize Palestine| Keir Starmer | फिलिस्तीन को देश की मान्यता दे सकता है ब्रिटेन: 250 सांसदों की PM को चिट्ठी; 5 दिन पहले फ्रांस ने मान्यता देने का ऐलान किया


लंदन53 मिनट पहले

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कीर स्टार्मर का कहना है कि अगर इजराइल गाजा संकट खत्म करने और टू स्टेट सॉल्यूशन पर सहमत नहीं होता है तो ब्रिटेन फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दे सकता है। - Dainik Bhaskar

कीर स्टार्मर का कहना है कि अगर इजराइल गाजा संकट खत्म करने और टू स्टेट सॉल्यूशन पर सहमत नहीं होता है तो ब्रिटेन फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दे सकता है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने मंगलवार को कहा कि उनका देश फिलिस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता दे सकता है। इससे पहले फ्रांस फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देने का ऐलान कर चुका है।

स्टार्मर ने कहा कि अगर इजराइल गाजा में चल रहे संकट को खत्म करने और टू स्टेट सॉल्यूशन पर सहमत नहीं होता है तो, ब्रिटेन सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देगा।

गाजा में भुखमरी की खबरें और इजराइल की तरफ से मदद रोके जाने की वजह से ब्रिटिश PM पर उनकी पार्टी के सांसदों का दबाव बढ़ता जा रहा है।

हालांकि हाल ही में जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि उनका देश फिलिस्तीन को मान्यता देगा, तब स्टार्मर ने उनका समर्थन नहीं किया था।

फ्रांस G7 का पहला देश था जिसने फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की थी। नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड पहले ही फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे चुके हैं।

UN की इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में अकाल से भी बुरी स्थिति है।

UN की इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में अकाल से भी बुरी स्थिति है।

250 से ज्यादा सांसदों ने पीएम को चिट्ठी लिखी थी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लेबर पार्टी समेत 9 दलों के 250 से ज्यादा सांसदों ने पीएम स्टार्मर और विदेश मंत्री डेविड लैमी को चिट्ठी लिखकर फिलिस्तीन को मान्यता देने की मांग की थी।

सांसदों का कहना है कि ब्रिटेन अकेले फिलिस्तीन नहीं बना सकता, लेकिन उसके देश के तौर पर मान्यता देने के फैसले का बड़ा असर हो सकता है।

स्टार्मर के अपने मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य भी इस मुद्दे पर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने गाजा संकट को लेकर इस हफ्ते एक इमरजेंसी बैठक बुलाई है, जिसमें छुट्टी पर गए मंत्रियों को भी वापस बुलाया गया है।

गाजा पर चल रही बहस ने प्रधानमंत्री स्टार्मर को एक असहज स्थिति में डाल दिया है। वह पहले मानवाधिकार वकील रह चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने की बात करते हैं।

ब्रिटिश PM कीर स्टार्मर से 250 से ज्यादा सांसदों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने की मांग की है। इस मुद्दे पर एक इमरजेंसी बैठक होगी।

ब्रिटिश PM कीर स्टार्मर से 250 से ज्यादा सांसदों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने की मांग की है। इस मुद्दे पर एक इमरजेंसी बैठक होगी।

नेतन्याहू ने ICC का फैसला नहीं माना

स्टार्मर ने इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने वाली पिछली ब्रिटिश सरकार की याचिका भी वापस ले ली थी।

कई सांसद फिलिस्तीन को अलग देश बनाए जाने के कदम के विरोधी भी हैं। उनका कहना है कि क्या किसी ऐसे क्षेत्र को एक देश माना जा सकता है, जहां कोई स्थिर सरकार नहीं है? क्या उसके साथ राजनयिक संबंध बनाए जा सकते हैं?

ब्रिटेन के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अमेरिका में पूर्व राजदूत किम डारोच ने कहा कि ये एक राजनीतिक फैसला है, लेकिन इसके पीछे कई कानूनी शर्तें होती हैं। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि ब्रिटेन ने इजराइल पर दबाव डालने में पहले ही सावधानी बरती है।

उसने पिछले साल कुछ हथियारों की आपूर्ति रोक दी थी और फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की मुख्य राहत एजेंसी को दोबारा फंड देना शुरू किया था, जिसे इजराइली सरकार हमास के साथ मिले होने का आरोप लगाती रही है।

इटली PM ने मान्यता देने पर विरोध किया

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मिलोनी ने 26 जुलाई को यूरोप में फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देने की बढ़ती मांग का विरोध किया था और इसे गलत कदम बताया था।

मिलोनी का यह बयान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की उस घोषणा के बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि फ्रांस सितंबर में UN महासभा में फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता देगा।

इजराइल और अमेरिका ने इस बयान की कड़ी आलोचना की। इटली के अलावा जर्मनी भी जल्द ही फिलिस्तीन को राज्य के तौर पर मान्यता देने के पक्ष में है। जर्मनी का कहना है कि उसका ध्यान अभी टू स्टेट सॉल्यूशन की तरफ है।

ब्रिटेन ने 2 इजराइली मंत्रियों पर बैन लगाया

पिछले महीने ब्रिटिश सरकार ने नेतन्याहू सरकार के दो दक्षिणपंथी मंत्रियों इतमार बेन-ग्वीर और बेजलेल स्मोट्रिच पर प्रतिबंध लगा दिए थे। यह कार्रवाई फिलिस्तीनियों के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप में की गई थी। ब्रिटेन ने यह कदम ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और नॉर्वे के साथ मिलकर उठाया था। अब कुछ राजनयिकों का मानना है कि फिलिस्तीनी मान्यता के मुद्दे पर भी यही देश एक जैसी कार्रवाई कर सकते हैं।

इजराइली संसद में बेन ग्विर (बाएं) और बेजलेल स्मोत्रिच (दाएं)। (फाइल फोटो)

इजराइली संसद में बेन ग्विर (बाएं) और बेजलेल स्मोत्रिच (दाएं)। (फाइल फोटो)

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