यूपी के बरेली कोर्ट ने दो साल पहले चर्चित रहे गैर कानूनी तरह से धर्मांतरण प्रकरण में दोनों आरोपियों को बरी कर दिया। वहीं कोर्ट ने तत्कालीन इंस्पेक्टर और सीओ के खिलाफ कार्रवाई का आदेश भी दिया है। जिसमें एक आरोपी अभिषेक गुप्ता रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज का
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यह है पूरा मामला
बरेली में दो लोगों को गैरकानूनी धर्मांतरण के आरोप लगाकर फर्जी तरह से बरेली के बिथरी चैनपुर पुलिस ने जेल भेेजा था। हिंदूवादी संगठन से जुड़े व्यक्ति ने पुलिस में यह शिकायत की थी। जेल जाने वालों में अभिषेक गुप्ता साल 2007 से बरेली के रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन टेक्नीशियन के पद पर काम करता था। जिसे पुलिस ने साल 2022 में जेल भेज दिया। जिसके बाद उसकी मेडिकल कॉलेज से नौकरी चली गई।
यह तीस मई 2022 की एफआईआर कॉपी की प्रतिलिपि है।
तत्कालीन इंस्पेक्टर व सीओ पर कार्रवाई के आदेश
वरिष्ठ एडवोकेट ने बताया कि बरेली की कोर्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरेली को इंस्पेक्टर व सीओ के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने दोनों के खिलाफ निराधार, व बिना साक्ष्य के कार्रवाई की। इसमें थाने के इंस्पेक्टर व सर्किल के सीओ भी दोषी हैं, जिनकी लापरवाही रही। क्योंकि विवेचना थाना पुलिस ने की और चार्जशीट सीओ के निर्देशन के बाद दाखिल की गई।
हिमांशु पटेल ने दज कराई थी एफआईआर
30 मई 2022 को बरेली के बिथरी चैनपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। यह केस हिंदु संगठन के कार्यकर्ता हिमांशु पटेल ने दर्ज कराया था। जिसमें पुलिस ने अभिषेक गुप्ता निवासी रुहेलखंड मेडिकल काॅलेज और अन्य अन्य के खिलाफ दर्ज कराया था। पुलिस ने सभी पर उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा पांच ए व तीन लगाई थी।
हिमांशु पटेल ने आरोप लगाया था कि गांव बिचपुरी में अभिषेक गुप्ता निवासी गोरखपुर हाल पता बरेली आठ अन्य लोगों के साथ धर्म परिवर्तन का काम कर रहे हैं। जब हिंदू संगठनों के 15 कार्यकर्ता पुलिस के साथ पहुंचे तो राजेश की पत्नी ममता के मकान में लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। उस मकान में प्रार्थना सभा कराई जा रही थी, मकान में 40 लोग पाये गए। मौके से बाइबिल मिली, सभी लोग ईसा मसीह की प्रार्थना कर रहे थे।