बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा की पांच सीटें इमामगंज, रामगढ़, बेलागंज, तरारी और रूपौली खाली हुईं। इनमें से रूपौली में उपचुनाव हो चुका है, जहां से निर्दलीय शंकर सिंह ने जेडीयू और आरजेडी को हराया। अब बची 4 सीटों पर उपचुनाव होना है। हालांकि चुनाव
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तरारी सीट पर तो एनडीए के अंदर पशुपतिनाथ पारस ने राष्ट्रीय लोजपा की तरफ से दावेदारी भी ठोक दी है। ये चार सीटें इसलिए महत्वपूर्ण है कि विधानसभा चुनाव से पहले यहां उपचुनाव होंगे। इसमें हार-जीत का असर मनोवैज्ञानिक रूप से सत्ता पक्ष और विपक्ष पर पड़ेगा।
चार सीटों का समीकरण
इमामगंज- यहां से जीतनराम मांझी विधायक थे। गया से सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई है। 2020 विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी को 78762 वोट और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष आरजेडी के उदय नारायण चौधरी को 62728 वोट मिले थे। ऐसी चर्चा है कि आरजेडी या महागठबंधन की और से उदय नारायण चौधरी एक बार फिर मैदान में उतर सकते हैं।
हालांकि महागठबंधन से रौशन मांझी के नाम की भी खूब चर्चा है। हम पार्टी से जीतन राम मांझी के घर से ही किसी के उम्मीदवार होने की उम्मीद है। बहू दीपा संतोष मांझी सोशल मीडिया पर एक्टिव रही हैं। उन्हें भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
इमामगंज से मांझी की बहू दीपा संतोष मांझी को उतारा जा सकता है।
रामगढ़- आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह रामगढ़ से विधायक थे। वे बक्सर से लोकसभा का चुनाव जीते हैं, इसलिए यहां उपचुनाव होना है। 2020 में आरजेडी के सुधाकर सिंह को 58083, बीएसपी के अंबिका सिंह को 57894 और बीजेपी के अशोक सिंह को 56084 वोट मिले थे।
यहां से जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह चुनाव लड़ सकते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने जेडीयू छोड़ दी थी। अंबिका सिंह भी फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। विधान परिषद से बर्खास्त किए गए पूर्व एमएलसी सुनील कुमार सिंह के समर्थकों की चाहत है कि उन्हें रामगढ़ से उपचुनाव लड़वाया जाए, लेकिन इसकी संभावना कम दिख रही है।
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के साथ अजीत सिंह
बेलागंज- आरजेडी के विधायक सुरेन्द्र प्रसाद यादव अब जहानाबाद से सांसद बन चुके हैं। चुनाव जीतने के बाद ये सीट खाली हुई है। 2020 में आरजेडी के सुरेन्द्र यादव को 79708, जेडीयू के अभय कुमार सिन्हा को 55745 और एलजेपी के रामाश्रय शर्मा ने 12005 वोट हासिल किए थे। उपचुनाव में सुरेन्द्र यादव अपने बेटे विश्वनाथ के लिए फिल्डिंग कर रहे हैं। आरजेडी से विनोद यादवेन्दु की भी दावेदारी है।
तरारी- माले के सुदामा प्रसाद विधायक थे। आरा लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार और केन्द्रीय मंत्री आरके सिंह को हरा दिया। महागठबंधन से माले के ही उम्मीदवार उतारे जाएंगे। यह तय है कि माले परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देगी और सुदामा प्रसाद के परिवार से किसी को टिकट नहीं देगी।
पिछले विधानसभा चुनाव में माले के सुदामा प्रसाद को 73945 वोट मिले थे। निर्दलीय सुनील पांडेय 62930 वोट लेकर आए थे। तीसरे स्थान पर बीजेपी के कौशल कुमार विद्यार्थी को 13833 वोट मिले थे। एनडीए में शामिल पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोजपा ने सुनील पांडेय को टिकट देने की मांग की है।
4 में 3 पर महागठबंधन का कब्जा, इसे छीनने की तैयारी
बता दें, 2020 के विधानसभा चुनाव में चार में से तीन सीटों पर महागठबंधन का कब्जा था। अब एनडीए गठबंधन इन सीटों को छीनने की तैयारी में है। तरारी और रामगढ़ में बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी। जबकि बेलागंज में जेडीयू दूसरे स्थान पर रही। यही वजह है कि तरारी और रामगढ़ सीट पर बीजेपी का अपना दावा पेश कर रही है।
बेलागंज की सीट जेडीयू को देने पर सहमति बन रही है। इमामगंज में हम पार्टी की दावेदारी है। एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर पहले ही बैठक हो चुकी है,लेकिन दिलीप जायसवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद फिर से बैठक करके फाइनल रूप दिया जाएगा। महागठबंधन में तीन सीटों पर आरजेडी और एक सीट पर माले उम्मीदवार का उपचुनाव में उतरना पक्का है।
बीजेपी ने किया चारों सीटें जीतने का दावा किया है।
हम 2025 विधानसभा का विजय अभियान उपचुनावों से शुरू करेंगे: बीजेपी
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी या एनडीए चारों सीटों पर जीत दर्ज करेगी। विधानसभा चुनाव 2025 का विजय अभियान हम उपचुनावों में जीत के साथ ही शुरू करेंगे। विशेषकर शाहाबाद में हमारा ध्यान रहेगा।
आरजेडी ने भी इमामगंज, रामगढ़, बेलागंज, तरारी उपचुनाव में जीत का दावा किया है।
चारों सीटों पर महागठबंधन की जीत तय है: आरजेडी
वहीं, आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि चारों सीटों पर महागठबंधन की जीत तय है। बिहार में जिस तरह से इंडिया गठबंधन के प्रति लोगों का विश्वास है और अपराध में बेतहाशा वृद्धि हुई है। सरकार अपराधियों के रहमोकरम पर चल रही है। बिहार की जनता का विश्वास एनडीए खो चुका है। एनडीए उपचुनाव को लेकर मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रही है। तेजस्वी यादव के पक्ष में लोगों का विश्वास बढ़ा है।