Bhaskar: If you had a free hand, your status would have been higher. Mayor: I became the mayor only because of my family, their wish is paramount | भास्कर: आप फ्री हैंड होती तो आपका मुकाम और ऊंचा होतामेयर: मैं परिवार के कारण ही महापौर बनी, उनकी इच्छा सर्वोपरि – Bikaner News


बतौर मेयर सुशीला राजपुरोहित के कार्यकाल के अब अंतिम दिन बचे हैं। सरकार 19 या 26 नवंबर को प्रशासक नियुक्त कर देगी।

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पांच साल तक करीब 10 कमिश्नर से साथ लगातार विवाद, परिवार का निगम के कार्यों में हस्तक्षेप जैसे विवाद उनके साथ रहे। शुरुआती कार्यकाल में टिपर योजना शुरू कर वाहवाही भी खूब मिली। अंतिम दिनों में पिंक बस शुरू कराने की भी तैयारी है। ऐसे में भास्कर ने उनसे उनके पांच साल के कार्यकाल पर खुलकर बात की। पेश है मेयर से बातचीत के चुनिंदा अंश

Q. जब आपका विदाई समारोह हो रहा तब कांग्रेस पार्षद 8 दिन तक धरने पर रहे। पक्षपात का बहुत आरोप लगा आप पर।

A. मेयर होते हैं तो वो किसी पार्टी के नहीं होते। पर विपक्ष ने कभी आज तक मुझसे बात नहीं की। मीडिया से पता लगा वे धरने पर हैं। मैंने उनसे बात भी की, लेकिन उन्होंने मुझे कोई समस्या नहीं बताई।

Q. नेता प्रतिपक्ष के वार्ड में 7 करोड़ के काम कैसे हुए?

A. मैंने पहले ही कहा कि कांग्रेस की सरकार थी। उनके अधिकारी थे। नेता प्रतिपक्ष के एक मंत्री से भी पारिवारिक रिश्ते थे। उसके कारण ये हुआ।

Q. नगर निगम के काम में आपके ससुर का मौके पर पहुंचकर पार्षद मनोज बिश्नोई या किसी आैर से विवाद करना ये हस्तक्षेप नहीं है?

A. हर सिचुएशन में मैं हर जगह मौजूद रहूं ये जरूरी नहीं। उस दिन मैं अपने ससुराल देसलसर थी। लेकिन मेरे ससुर का सर्किल है। लोगों के बुलावे पर वे वहां गए थे। गुमानसिंह समस्या का समाधान करने गए थे।

Q. आगे भी राजनीति करेंगी या वापस घर संभालेंगी?

A. ये निर्णय मैं नहीं करूंगी। इसका निर्णय मेरी पार्टी और मेरा परिवार करेगा। जो वो कहेंगे मैं करूंगी।

Q. मतलब आप अपना फैसला खुद नहीं लेती?

A. मैं इस घर की बहू हूं। इसका मतलब ये नहीं कि मैं मेयर बन गई तो बड़ों का या परिवार की इच्छाओं को ठुकराकर कुछ हासिल करूं।

Q. वापस मेयर बनने का मौका मिले तो बनेंगी?

A. हां क्यों नहीं, बिलकुल मैं वापस बनने के लिए तैयार हूं। सेवा करने के मौके को कौन गंवाना चाहेगा।

Q. सरकार के विपक्ष में और भी मेयर रहे। क्या वजह रही कि आपका ज्यादातर आयुक्तों से विवाद हुआ?

A. चुप रहती तो मेरा किसी से टकराव नहीं होता। विरोध करोगे तो टकराव होगा। जिन चीजों पर टकराव हुआ वो सच्चे मुद्दे थे। बहुत से अधिकारियों से मेरी बनी थी, लेकिन मेरा उनसे कोऑर्डिनेशन अच्छा होने के कारण सरकार उन अधिकारियों को हटा देती थी।

Q. बीकानेर में संभागीय आयुक्त, कलेक्टर, मेयर और कुछ समय पहले तक पुलिस अधीक्षक महिला थी। बावजूद इसके बाजारों में आम महिलाएं शौचालय के लिए तरस रही हैं।

A. ये मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट था। मुझे अफसोस भी है कि मैं इसे पूरा नहीं करा पाई पर जाते-जाते इस प्रोजेक्ट को पूरा करूंगी। 20 नवंबर को हम पिंक बस योजना शुरू करने जा रहे हैं। मैं भी कटले में जाती हूं मुझे भी इस बात की तकलीफ होती है।

Q. ये आम धारणा बन चुकी कि अगर आपको परिवार से फ्री हैंड किया जाता तो आज आपका मुकाम और ऊंचा होता पर आपके कामों में आपके परिवार का हस्तक्षेप बहुत हुआ।

A. मैं मेयर आज तब हूं जब मेरा परिवार साथ है। परिवार से दूर रहकर मैं सफल नहीं हो सकती थी। लोग क्या कहते हैं मुझे फर्क नहीं पड़ता।

Q. 2019 से पहले आप गृहस्थ थीं। कभी सोचा था मेयर बनेंगी या राजनीति में आने का इंटरेस्ट था?

A. बतौर हाउस वाइफ मैंने कभी नहीं सोचा था कि राजनीति में आऊंगी, लेकिन किस्मत का कोई नहीं जानता। किस्मत कभी भी किसी मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है। मेयर बनाने के लिए अर्जुनराम मेघवाल और मेरे ससुर गुमानसिंह राजपुरोहित को मैं धन्यवाद करूंगी।

Q. गृहस्थ और राजनीति दोनों में कौन सा काम मुश्किल लगा आपको?

A. मैं संयुक्त परिवार में रहती हूं। मुझे इन लोगों के कारण अपना काम करना आसान लगा। मैं जब बाहर जाती हूं तो निश्चिंत होती हूं कि मेरा परिवार मेरे बच्चों के साथ है। राजनीति में जाने के बाद पूरा शहर मेरा परिवार बना है।

Q. आप अपने कार्यकाल से संतुष्ट हैं?

A. बिलकुल, मैं बिलकुल संतुष्ट हूं। मेरी प्राथमिकता स्वच्छता थी। आज कह सकती हूं कि शहर साफ-सुथरा है। इस बात की भी खुशी है कि नए प्रोजेक्ट पर काम किया।

Q. जब मेयर बनी तो टिपर योजना चलाई। लोगों को उसके बाद बहुत उम्मीद थी आपसे। पर कुछ अधूरे कामों का अफसोस है आपको?

A. हां, बिलकुल अफसोस है। मेरा पूरा कार्यकाल संघर्षों से भरा रहा। सफलताएं मिलीं मगर देर और मुश्किल से। पहले कोविड आ गया। फिर विपक्ष की सरकार होने के कारण मुझे काम के लिए रोका गया। मेरे पर कार्यवाही की कोशिश हुई। फिर भी फायर स्टेशन, ओसीटी लेवल पार्क जैसे काम किए। गोशाला, सेगीग्रेशन जैसे ड्रीम प्रोजेक्ट पूरे ना करने का अफसोस है।

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