Bhagoria, Gond painting, Narmada Parikrama in National Cultural Heritage List | भगोरिया, गोंड़ चित्रकला, नर्मदा परिक्रमा राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत सूची में: सीएम मोहन ने पीएम मोदी का माना आभार, कहा-सांस्कृतिक विरासत के विकास के काम करेंगे – Bhopal News


एमपी के भगोरिया नृत्य, गोंड चित्रकला और नर्मदा परिक्रमा को सांस्कृतिक विरासत की राष्ट्रीय सूची में शामिल किया है। एमपी के कल्चर को महत्व दिए जाने के इस फैसले पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार माना है।

.

सीएम यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर कहा है कि भगोरिया जनजातीय नृत्य, गोंड जनजातीय चित्रकला एवं मां नर्मदा परिक्रमा का भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की राष्ट्रीय सूची में सम्मिलित होना सभी मध्यप्रदेश वासियों के लिए हर्ष एवं गौरव का विषय है।

इस उपलब्धि के लिए जनजातीय संस्कृति एवं कला के संरक्षण के लिए समर्पित सभी लोगों तथा जीवनदायिनी मां नर्मदा के सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस सौगात के लिए सभी प्रदेशवासियों की ओर से आभार व्यक्त करता हूं, पीएम के नेतृत्व में हमारी सरकार सदैव विरासत से विकास की दिशा में गतिशील रहेगी।

क्या है भगोरिया नृत्य

भगोरिया प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों खासतौर पर झाबुआ, अलीराजपुर में मनाया जाने वाला एक लोक उत्सव है। यह होली से सात दिन पहले शुरू होता है। इस दौरान, ग्रामीण होली की खरीदारी करते हैं और मिल-जुलकर त्योहार मनाते हैं। भगोरिया हाट में युवक-युवतियों को एक-दूसरे से मिलने और प्रेम संबंध बनाने का अवसर मिलता है। उत्सव में ढोल, मांदल और बांसुरी की धुन पर आदिवासी नृत्य होते हैं। लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर मस्ती करते हैं। भगोरिया हाट में ग्रामीण अपनी जरूरत की चीजें और सजावट का सामान खरीदते हैं।भगोरिया हाट में आदिवासी पारंपरिक वस्त्र, आभूषण और कलाकृतियां प्रदर्शित की जाती हैं। इस उत्सव में भील, भिलाला, पटेलिया, राठवा और बरेला जैसे आदिवासी समाज के लोग शामिल होते हैं।

आदिवासियों की पारंपरिक लोक कला है गोंड चित्रकला

गोंड चित्रकला गोंड आदिवासी समाज द्वारा बनाई जाने वाली एक पारंपरिक लोक कला है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पाई जाती है। गोंड चित्रकला अपने जीवंत रंगों, जटिल पैटर्न्स और प्रकृति से प्रेरित रूपांकनों के लिए जानी जाती है। गोंड चित्रकला में सफेद, लाल, नीले, पीले और हरे जैसे चमकीले रंगों का उपयोग किया जाता है। चित्रों में जटिल पैटर्न होते हैं, जो रेखाओं, डॉट्स और डैश का उपयोग करके बनाए जाते हैं। गोंड चित्रकला में जानवरों, पौधों, पेड़ों और अन्य प्राकृतिक तत्वों का चित्रण किया जाता है।

चित्रों में गोंड जनजातियों की पौराणिक कथाएं, लोककथाएं और कहानियों का चित्रण किया जाता है। गोंड चित्रकला को भित्तिचित्रों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, जो त्यौहारों और अन्य विशेष अवसरों पर दीवारों और फर्श पर बनाए जाते हैं। गोंड चित्रकला में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि पेड़ की छाल, मिट्टी, पौधों का रस और कोयला का उपयोग होता है। गोंड चित्रकला को विभिन्न माध्यमों जैसे कि दीवारों, फर्श, कपड़ों, कागज और कैनवास पर बनाया जा सकता है।

नर्मदा परिक्रमा

एमपी के अनूपपुर जिले के अमरकंटक से निकली नर्मदा नदी को एमपी में मां का दर्जा दिया जाता है। हर साल हजारों लोग मां नर्मदा की परिक्रमा करते हैं। माना जाता है कि मां नर्मदा की सच्चे मन से की गई परिक्रमा कभी खाली नहीं जाती है। यह यात्रा अमरकंटक से शुरू होकर खंभात की खाड़ी में नदी के संगम तक जाती है। इसे पैदल किया जाता है और इसमें लगभग 3 वर्ष, 3 महीने और 13 दिन का समय लगता है।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *