benefits of Tulsi puja in hindi, rituals about tulsi in home, basil plant in home, tulsi puja mantra | घर में तुलसी लगाने की परंपरा: तुलसी के बिना अधूरी रहती है श्रीकृष्ण की पूजा, जानिए तुलसी के पत्ते कब नहीं तोड़ना चाहिए

15 मिनट पहले

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तुलसी को विष्णु प्रिया कहते हैं और माना जाता है कि जिन घरों में तुलसी लगी होती है, वहां देवी-देवताओं का वास होता है और घर के आसपास सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। तुलसी का धर्म के साथ ही आयुर्वेद में भी बहुत महत्व है। इसे जड़ी-बूटियों की रानी भी कहते है। तुलसी से जुड़ी मान्यताओं की वजह से घर में तुलसी लगाने की परंपरा है। तुलसी के पत्ते एकादशी, अमावस्या, रविवार को तोड़ने से बचना चाहिए। जानिए तुलसी से जुड़ी खास बातें…

तुलसी की पौराणिक कथा

पुराने समय में शंखचूड़ नाम के असुर का विवाह तुलसी से हुआ था। शंखचूड़ असुर था वह तुलसी के पतिव्रत धर्म के पुण्य की वजह से अजय हो गया था। सभी देवता मिलकर भी शंखचूड़ का वध नहीं कर पा रहे थे। शंखचूड़ से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। तब शिव ने कहा कि कि जब तक शंखचूड़ के साथ तुलसी के पतिव्रत धर्म का पुण्य है, उसका वध नहीं किया जा सकता है। शंखचूड़ को मारने के लिए सबसे पहले तुलसी का पतिव्रत धर्म भंग करना होगा। भगवान शिव के कहने पर ये काम विष्णु ने किया। भगवान विष्णु ने छल से तुलसी का पतिव्रत भंग कर दिया और शिव ने शंखचूड़ का वध कर दिया। जब तुलसी को ये बात मालूम हुई कि भगवान विष्णु ने उसके साथ छल किया है तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का शाप दे दिया। विष्णु जी ने तुलसी का शाप स्वीकार किया, शालिग्राम भगवान विष्णु का ही स्वरूप है। तुलसी को भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि अब से गंडकी नदी और तुलसी के पौधे के रूप में तुम्हारी पूजा होगी। मेरी पूजा में भी तुलसी का इस्तेमाल खासतौर पर होगा। नेपाल में बहने वाली गंडकी नदी तुलसी का स्वरूप मानी गई है। इसी नदी एक विशेष प्रकार के काले पत्थर मिलते हैं, जिन पर चक्र, गदा आदि के निशान बने होते हैं। इन पत्थरों को भगवान विष्णु का स्वरूप शालिग्राम मानते हैं।

तुलसी के आयुर्वेदिक फायदे

तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायक है। तुलसी के नियमित सेवन से हमारी इम्यूनिटी बढ़ती है। तुलसी के पत्तों का कई दवाइयों में इस्तेमाल होता है।

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