Banke Bihari Mathura Ramlala Ayodhya Cold Weather Uttar Pradesh | कान्हा को बुखार-जुकाम न हो, इसलिए सेंक रहे अंगीठी: रामलला गुनगुने पानी से नहाकर तिल के लड्‌डू खा रहे; 30 मिनट ज्यादा नींद – Ayodhya News

सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। अयोध्या और मथुरा में भगवान को भी ठंड लगने लगी है। भोग, पहनावे और दर्शन व्यवस्था में बदलाव किए गए हैं, ताकि बाल स्वरूप के भगवान को बुखार-जुकाम न हो जाए। 34 साल से भगवान राम की सेवा करने वाले पुजारी संतोष तिवारी कहते हैं-

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सर्दियों में भगवान का ध्यान ज्यादा रखना होता है। वो बालक हैं, उन्हें गुनगुने पानी से नहलाते हैं। मखमल पहनाकर उन्हें सर्दी से राहत देते हैं। गुड़, तिल के साथ देसी घी के हलवे का भोग लगता है।

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बदली हुई व्यवस्था में रामलला सुबह 30 मिनट ज्यादा सो रहे हैं। वहीं, मथुरा में श्रीकृष्ण को भी अब हाथों में दस्ताने और पैरों में ऊनी मोजे पहनाए जा रहे हैं। कान्हा के सामने अंगीठी जलाकर गर्भगृह को गर्म रखा जा रहा है।

मंदिर प्रबंधन ने भगवान की देखभाल के लिए क्या-क्या बदलाव किए हैं, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ने अयोध्या और मथुरा में मंदिर के पुजारियों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट…

पहले अयोध्या के रामलला की बात

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला 5 साल के हैं। उन्हें सर्दी से बचाने के लिए ज्यादा प्रयास करने पड़ते हैं।

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला 5 साल के हैं। उन्हें सर्दी से बचाने के लिए ज्यादा प्रयास करने पड़ते हैं।

पुजारी बोले- भगवान को सर्दी न लगे, इसके लिए सारे जतन अयोध्या में रामलला सिर्फ 5 साल के हैं। बाल स्वरूप का सर्दियों में खास ख्याल रखना होता है। यहां उनकी सेवा भी एक बच्चे की तरह की जाती है। पुजारियों को खास ध्यान रखना होता है।

34 साल से रामलला की सेवा करने वाले सहायक पुजारी संतोष तिवारी कहते हैं- एक वक्त था, जब रामलला टेंट के नीचे थे, तब भी हम लोग परेशान होते थे कि कहीं भगवान को सर्दी न लग जाए।

अब भगवान भव्य मंदिर में हैं, मगर वह बालक ही तो हैं। इसलिए उन्हें विशेष ध्यान देने की जरूरत पड़ती हैं। अब ठंड बढ़ने पर गर्भगृह में ब्लोअर लगाकर उन्हें गर्म रखा जाएगा।

अब आरती और भोग के बारे में जानिए

रामलला के दर्शन- सुबह 7 से 11.30 बजे तक होंगे रामलला को 4.30 बजे सुबह उठाया जाता है। उन्हें उत्थान आरती सुनाते हैं। फिर 6.30 बजे उन्हें गुनगुने पानी से नहलाकर श्रृंगार करते हैं। फिर मखमली कपड़े पहनाए जाते हैं, इसका रंग दिन के हिसाब से तय होता है। फिर भक्तों को सुबह 7 बजे दर्शन मिलते हैं।

गर्मियों में भक्तों को सुबह 6.30 बजे से दर्शन मिलने लगते हैं। अब सर्दियों में भगवान 30 मिनट ज्यादा सोएंगे। उनका शयन शेड्यूल बदला गया है। इस तरह से दर्शन सुबह 11.30 बजे तक जारी रहेंगे। भोग आरती दोपहर 12 बजे होगी।

रामलला की दोपहर और शाम की आरती के बाद पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल का भोग लगाया जाता है। इसके बाद दूध की खीर, देसी घी के हलवे का भोग लगता है। अब सर्दियां आ गईं हैं, इसलिए भगवान को तिल का लड्‌डू खाने में दिया जाता है।

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय कहते हैं- भोग आरती के बाद कपाट बंद हो जाते हैं। दोपहर 2 बजे भगवान के जागने पर उनके दर्शन दोबारा शुरू होते हैं। रात 9 बजे तक भगवान दर्शन देंगे, फिर भोग आरती की जाएगी। भक्तों को 9.30 बजे तक दर्शन मिल सकेंगे। भोग आरती में पास के जरिए ही 60 श्रद्धालु मौजूद रह सकेंगे। फिर रामलला को रेशमी रजाई ओढ़ा दी जाएगी।

रामलला को रेशमी रजाई कुछ इस तरह से ओढ़ाई जा रही है। पुजारी शयन आरती के बाद रजाई अर्पित करते हैं।

रामलला को रेशमी रजाई कुछ इस तरह से ओढ़ाई जा रही है। पुजारी शयन आरती के बाद रजाई अर्पित करते हैं।

अब अयोध्या के दूसरे मंदिरों की व्यवस्था जानिए

श्रीरामवल्लभाकुंज में फूल नहीं कपड़े की माला पहना रहे अयोध्या में राम मंदिर के अलावा कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। कनक भवन, श्रीरामवल्लभाकुंज, रंग महल, दशरथ महल, लक्ष्मण किला, मणिराम दास छावनी, सियाराम किला, जानकी महल ट्रस्ट, हनुमत निवास में भी भगवान की सेवा बदल गई है। कहीं रजाई तो कहीं शॉल ओढ़ाया जाने लगा है।

श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास कहते हैं- भगवान को ठंड से बचाने के लिए केसर युक्त दूध, रबड़ी मलाई, देसी गुड़, तिल के लड्‌डू का भोग लगाया जा रहा है। अब उन्हें फूलों की माला नहीं पहनाई जाती है, उन्हें कपड़े की हार पहनाते हैं। ठिठुरन बढ़ने पर अंगीठी और ब्लोअर से भगवान को गर्म रखने का प्रयास किया जाता है।

श्रीरामवल्लभाकुंज मंदिर में प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण जी के चरणों में रजाई रखी जाने लगी हैं।

श्रीरामवल्लभाकुंज मंदिर में प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण जी के चरणों में रजाई रखी जाने लगी हैं।

अब मथुरा के मंदिर

हाथ में दस्ताने और पैरों में मोजे पहनाए जा रहे भगवान कृष्ण के बंशी अवतार राधा बल्लभ लाल को सर्दी से राहत देने के लिए उनकी पोशाक में बदलाव किया गया है। भगवान राधा बल्लभ लाल को हाथों में ऊनी ग्लब्स और पैरों में गर्म मोजे धारण कराए जा रहे हैं। इसके अलावा उनको ऊनी कपड़े से बनी गर्म पोशाक भी पहनाई जा रही है। भगवान को सर्दी न लगे इसके लिए उनके आगे अंगीठी रखी जा रही है।

भगवान को शीतलहर से राहत देने के लिए उनके भोग में भी बदलाव किया गया है। भगवान को मेवा और केशर से बने भोग अर्पित किए जा रहे हैं। मंदिर के सेवायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया- सर्दियों में फूलों की माला और श्रृंगार नहीं किया जाता। इस दौरान कपड़े से बनी माला धारण कराई जाती है, क्योंकि मानते हैं कि फूलों से भगवान को ठंड लग सकती हैं।

भगवान को सर्दी न लगे इसलिए उनके सामने अंगीठी रखी जाने लगी है।

भगवान को सर्दी न लगे इसलिए उनके सामने अंगीठी रखी जाने लगी है।

बांके बिहारी दूध-भात के साथ केसर, पिस्ता खा रहे बांके बिहारी मंदिर में भी भगवान को ठंड में सर्दी न लगे इसके लिए उनको अर्पित किए जाने वाले भोग में बदलाव किया गया है। यहां भगवान को दाल-चावल, रोटी का भोग लगाया जाता है। गुड़ और तिल की बनी चीजें भी खिलाई जा रही हैं।

दूध-भात में चावल में केशर पिस्ता का ज्यादा प्रयोग किया जा रहा। मंदिर के सेवायत गोपी गोस्वामी ने बताया- पहले दर्शन सुबह 7 बजे से शुरू हो रहे थे, मगर अब बांके बिहारी सुबह 8: 45 से दोपहर 1 बजे तक दर्शन देते हैं। शाम को 4:30 से रात 8:30 तक भक्त उनके दर्शन कर रहे हैं। फिर बांके बिहारी को मखमल की रजाई ओढ़ाई जा रही है। जब ज्यादा ठंड पड़ेगी, तब उनके सामने अंगीठी भी रखी जाएगी।

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अब ये ग्राउंड रिपोर्ट पढ़िए

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