bank deposit Insurance Cover Increase Update DICGC | बैंक डूबने पर बीमा कवर 10 लाख हो सकता है: अगले 6 महीने में ऐलान संभव; फिलहाल 5 लाख का इंश्योरेंस मिलता है

1 घंटे पहले

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सरकार अगले 6 महीने में बैंक डिपॉजिट पर मिलने वाले इंश्योरेंस की सीमा 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर सकती है। वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इसको लेकर मंथन जारी है। हालांकि, नई सीमा कितनी होगी, इसका अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ है।

अधिकारी के मुताबिक- नई सीमा तय करने में कई पहलू देखे जा रहे हैं। जैसे- कितने खाताधारक कवर होंगे, कितनी रकम इंश्योर्ड होगी और सरकार कितनी गारंटी देगी। कैबिनेट के निर्णय के बाद वित्त मंत्रालय इसका ऐलान करेगा।

दरअसल, सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट (DICGC) के तहत अभी बैंक के बंद होने या डूबने की स्थिति में ग्राहकों को 5 लाख रुपए का डिपॉजिट इंश्योरेंस (जमा बीमा) देती है। डिपॉजिटर्स को 90 दिन के भीतर ये रकम मिलती है।

आखिरी बार 5 साल पहले बढ़ी थी सीमा देश में डिपॉजिट इंश्योरेंस की शुरुआत 1962 में हुई थी। उस वक्त प्रति खाताधारक 1,500 रुपए की सीमा थी। इसे समय-समय पर बढ़ाया गया। 1976 में 20 हजार रुपए, 1980 में 30 हजार रुपए और 1993 में 1 लाख रुपए किया गया। फरवरी 2020 में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक संकट के बाद इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया गया।

बता दें अगर बैंक दिवालिया हो जाए, तो खाताधारक को उसकी जमा राशि में से तय सीमा तक पैसा वापस मिलता है। रिजर्व बैंक ने फरवरी 2025 में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर सख्त कार्रवाई की थी। इसके बाद से बैंक जमा बीमा बढ़ाने पर चर्चा तेज हुई।

कितने दिन में मिलेगा पैसा? अगर आपका बैंक किसी वजह से दिवालिया होता है या मोरेटोरियम में चला जाता है तो 90 दिन में आपको अपना जमा पैसा मिलता है। प्रभावित बैंक को 45 दिन में DICGC को खाताधारकों का ब्योरा भेजना होता है। अगले 45 दिनों में वह खाताधारकों को पैसे लौटाता है।

कैसे मिलता है पैसा?

  • यदि कोई बैंक बंद या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC पहले बैंक से ग्राहकों की सूची और उनकी जमा राशि की जानकारी मांगता है।
  • इसके बाद DICGC इंश्योरेंस की रकम बैंक को देता है।
  • फिर बैंक अपने ग्राहकों की जमा रकम के आधार पर इंश्योरेंस का पैसा उनके अकाउंट में भेज देता है।

कौन-कौन से बैंक इसके तहत शामिल हैं? भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्रीय बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित सभी कॉमर्शियल बैंक का बीमा DICGC द्वारा किया जाता है।

आपको कैसे पता चलेगा कि आपका बैंक DICGC के अंतर्गत आता है? किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय DICGC उन्हें प्रिंटेड पर्चा देता है, जिसमें डिपॉजिटर्स को मिलने वाले इंश्योरेंस के बारे में जानकारी होती है। अगर किसी डिपॉजिटर को इस बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे बैंक ब्रांच के अधिकारी से इस बारे में पूछताछ सकते हैं।

DICGC क्या है? डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन यानी DICGC, रिजर्व बैंक की स्वामित्व वाली एक संस्था है, जो बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर मुहैया कराती है।

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