बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखंड के पिपराडीह गांव में प्राथमिक स्कूल का संचालन एक कच्चे मकान के बरामदे में किया जा रहा है। इसी एक बरामदे में गांव के करीब 25 बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक यह इलाका विशेष पिछड़ी जनजाति का है, जह
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चार साल पहले इस गांव में स्कूल नहीं था। मीडिया में खबरें आने के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने वैकल्पिक तौर पर प्राथमिक शाला और मिनी आंगनबाड़ी केंद्र शुरू कराया। लेकिन चार साल बीतने के बावजूद गांव में स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो सका। बारिश और गर्मी जैसे मौसमों में बच्चों को कच्चे बरामदे में ही पढ़ाई करनी पड़ती है।
बरामदे में पाठशाला।
गांव में करीब 70-80 घरों की आबादी है। शिक्षा विभाग के तमाम दावे इस गांव में खोखले साबित हो रहे हैं। बच्चे और शिक्षक दोनों लंबे समय से पक्के स्कूल भवन की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी योजनाओं के बावजूद शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों की अनदेखी हो रही है।
कच्चे मकान के बरामदे में स्कूल का संचालन।
मामले की गंभीरता को देखते हुए विकासखंड शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार ने जल्द ही स्कूल भवन के निर्माण का आश्वासन दिया है। अब यह देखना होगा कि इस आश्वासन पर अमल कब तक हो पाता है और बच्चे कच्चे मकान के बरामदे से पक्के स्कूल भवन में पढ़ाई कर पाएंगे।