यूरोलॉजी के डॉक्टर ने महिला मरीज से किया बैड टच।
PGI चंडीगढ़ के यूरोलॉजी विभाग के एक डॉक्टर पर अभद्र व्यवहार के गंभीर आरोप लगे हैं। 38 साल की महिला मरीज ने दावा किया कि इलाज के दौरान डॉक्टर ने न केवल उसकी अनुमति के बिना कमरे का दरवाजा बंद किया, बल्कि महिला अटेंडेंट की गैरमौजूदगी में उसे अनुचित तरीक
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इस गंभीर आरोप के बाद पीजीआई के निदेशक, प्रोफेसर विवेक लाल ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। उन्होंने कहा, “पीजीआई में मरीजों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, विशेषकर उन मरीजों के साथ, जो यहां अपने इलाज के लिए विश्वास के साथ आते हैं।”
क्या है मामला… मरीज, जो पंजाब की रहने वाली है और किडनी स्टोन के इलाज के लिए पीजीआई की यूरोलॉजी ओपीडी में आई थी, ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि डॉक्टर ने जांच के दौरान महिला अटेंडेंट को नहीं बुलाया और उसकी भाभी को भी कमरे में प्रवेश करने से रोक दिया गया। उसने कहा कि जब वह दोपहर में फिर से ओपीडी में गई, तो डॉक्टर ने उसे वापस बुलाया, कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और गलत तरीके से छुआ।
शिकायतकर्ता ने शुरुआत में डॉक्टर के व्यवहार को नजर अंदाज किया, यह सोचकर कि पीजीआई के वरिष्ठ डॉक्टर ऐसा गलत काम नहीं करेंगे। हालांकि, जब उसे दूसरी बार बुलाया गया और फिर से दुर्व्यवहार किया गया, तब उसने शिकायत करने का निर्णय लिया। महिला ने पीजीआई के निदेशक से डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और अनुरोध किया है कि उसकी चिकित्सा देखभाल किसी अन्य डॉक्टर करे।
पीजीआई की प्रतिक्रिया… डॉ. शैंकी सिंह, जिन पर आरोप लगाए गए हैं, ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा, “यह एक गंभीर आरोप है और मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।” उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। वहीं पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर विवेक लाल ने कहा कि संस्थान में इस तरह के मामले के लिए शून्य सहनशीलता की नीति है। मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है।
कमेटी जांच कर जो रिपोर्ट देगी, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पीजीआई में हर दिन 10,000 से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं, और महिला मरीजों के लिए निर्धारित नैतिक प्रथाओं का सख्ती से पालन किया जाता है।
क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत, अस्पतालों में किसी पुरुष कर्मचारी महिला मरीज की जांच, उपचार या अन्य मेडिकल प्रबंधन के दौरान एक महिला अटेंडेंट या नर्सिंग स्टाफ की उपस्थिति अनिवार्य है। इसी प्रकार, अगर किसी महिला मरीज के साथ कोई महिला रिश्तेदार मौजूद नहीं होती है, तो अस्पताल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिला अटेंडेंट को जांच के दौरान बुलाया जाए।