कुछ ही क्षण पहले
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अब तक जितने महापुरुष हुए हैं, उनमें कोई एक वैशिष्ट गुण रहा है। प्रेम, करुणा, त्याग, संयम, अनुराग और भक्ति जैसे गुण महापुरुषों के स्वभाव में रहते हैं। ये सभी सद्गुण हममें भी हैं। इन गुणों को जगाना पड़ता है। अपने भीतर प्रेम, माधुर्य, संयम को जगाएं। अपने भीतर की सरलता को जगाएं। जब हम ऐसा ठान लेंगे कि हमारे सद्गुण चैतन्य हों, हमारी दिव्याताएं उजागर हों, हमारी श्रेष्ठताएं एक साथ जीवंत हों तब नि:संदेह हम बड़े कार्य कर पाएंगे।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमारे सद्गुण कैसे जागते हैं?
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