16 मिनट पहले
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शब्द ब्रह्म हैं। हमारे शब्दों में बड़ी शक्ति है। इसलिए बोलते समय हमारे शब्द सभ्य, सार्थक और नपे-तुले होने चाहिए। जब हम बोलते हैं तो शब्दों में प्रेम और माधुर्य होना चाहिए। हम जो कुछ बोलते हैं, उससे हमारे संस्कार, परिवार, परंपरा और विचारों का परिचय होता है। इसलिए गंभीर, शांत, विनम्र और सत्यवादी रहें।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए दूसरों के लिए हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?
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