हरिद्वार27 मिनट पहले
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देवकृपा से हम कभी भी वंचित नहीं होते हैं, बस ये अनुभव की बात है। भगवान दयालु, हितकर, शुभकर हैं, हमारा कभी भी अमंगल नहीं करते हैं। उनकी प्रवृत्तियां मंगलकारी हैं, उनका विधान शुभ और कल्याणकारी है। जिस दिन हम ईश्वरीय विधान समझने लगते हैं, हमारे मन में ईश्वर के प्रति समर्पण पैदा होता है।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए भगवान के विधान के लिए हमारे भाव कैसे होने चाहिए?
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