13 मिनट पहले
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जैसी भाषा, प्रतिक्रिया, व्यवहार हमें अपने लिए अच्छा नहीं लगता है, वैसा दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए। प्रतिकूल भाषा जो हमें अपने लिए पसंद नहीं है, जिससे हम आहत होते हैं, जो हमें अपमानित करती है, जिसकी वजह से हम असहज होते हैं, वैसी भाषा का इस्तेमाल दूसरों के लिए भूलकर भी न करें। जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही व्यवहार हमारे साथ होता है।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए बातचीत करते समय किन बातों का ध्यान रखें?
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