हरिद्वार2 दिन पहले
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जीवन एक यात्रा है और जब इस यात्रा का अंत होता है तो आत्मा अनंत में समाहित हो जाती है। जीवन के सत्य और यथार्थ का अनुभव ही इस मानवीय यात्रा का मुख्य उद्देश्य है। सबसे बड़ा पुरुषार्थ आत्म साक्षात्कार और भगवान की प्राप्ति है। यही हमारा अंतिम लक्ष्य भी होना चाहिए। जो आत्म साक्षात्कार के लिए काम कर रहा है, वही भाग्यवान है।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए आत्म साक्षात्कार कैसे हो सकता है?
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