हरिद्वार11 मिनट पहले
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जैसा हमारा आहार होता है, वैसा ही हमारा मन बनता है। अगर हमारा आहार पवित्र है, संतुलित है, हम मितभोजी हैं, ऋतु के अनुसार खाना खाते हैं तो हम स्वस्थ रहेंगे। अन्न को लेकर ईश्वर की एक अज्ञात रचना हमारे भीतर है। अन्न से कैसे रस, रक्त, शरीर बनेगा, ये सब ईश्वर की अज्ञात रचना पर ही निर्भर करता है। इसलिए अन्न की पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए जल और भोजन के लिए सजग रहेंगे तो कौन-कौन से लाभ मिलेंगे?
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