हरिद्वार34 मिनट पहले
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हम वर्तमान में सजग और चैतन्य रहेंगे तो अपने अस्तित्व को जान पाएंगे। हमारा मन या तो पुरानी यादों में लगा रहता है या भविष्य की कल्पनाएं करता रहता है। मन वर्तमान में कभी रहता ही नहीं है। यादें और कल्पनाएं हमें वर्तमान में नहीं रहने देती हैं। पुरानी यादों और भविष्य की कल्पनाओं से बचना चाहिए।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमें वर्तमान में कैसे रहना चाहिए?
आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
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