हरिद्वार11 घंटे पहले
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परिवार एक ऐसी संस्था है, जहां जब आप अपना सर्वस्व सौंपते हैं, तब ही सुख, सम्मान, प्रियता और आत्मीयता का अनुभव कर पाते हैं। जब परिवार में स्वार्थ आ जाता है, अपने हित का चिंतन, अपनी रुचियों की प्रधानता आ जाती है, तब आपसी स्नेह और विश्वास खत्म हो जाता है। परिवार समर्पण चाहता है, जब आप परिवार के लिए समर्पण की भावना रखते हैं, तब परिवार भी उसे लौटाता है।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमारी संस्कृति का संदेश क्या है?
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