हरिद्वार12 मिनट पहले
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परोपकार हमारी सनातन संस्कृति की पहचान है। हमारा धर्म इसी से तो परिभाषित होता है कि हम सदा दूसरों के हित के लिए काम करते रहें। दूसरों के अधिकार, सम्मान, स्वाभिमान की रक्षा के लिए हम आगे आते रहें। हम यज्ञ करते रहें अथवा दान देते रहें, उसमें दूसरों की भागीदारी है। धन के रूप में, आदर के रूप में, समय के रूप में दूसरों को हिस्सा देते रहना चाहिए। हमारी संस्कृति की विशेषता यही है कि हम दूसरों के काम आएं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए ऋषि-मुनियों ने हमें क्या सीख दी है?
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