हरिद्वार21 घंटे पहले
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आत्म निरीक्षण श्रेष्ठ साधना है, जो व्यक्ति को उन्नति की ओर ले जाती है। हमें अपने विचारों का निरीक्षण करना चाहिए और जो विचार दुर्बल या निंदनीय हैं, उन्हें त्याग देना चाहिए, क्योंकि विचार ही हमारे उत्थान या पतन का कारण बनते हैं। सकारात्मक विचार रखने वाला व्यक्ति ही सफल होता है। जब हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखते हैं और मन को वश में रखते हैं, तब हमारे विचार सकारात्मक बनते हैं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए मन की दुर्बलता कैसे दूर हो सकती है?
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