हरिद्वार15 घंटे पहले
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मनुष्य के भीतर सृजन करने का, कुछ नया करने का गुण जन्म से ही रहता है। हम नया कर सकते हैं, हम नए आविष्कार कर सकते हैं। भौतिकी जगत में मनुष्य ने असाधारण प्रगति अर्जित की है। हमें हर क्षेत्र की जानकारियां मिल रही हैं। हमारे पास उच्च सामर्थ्य है। इसलिए अपनी बौद्ध क्षमता का लाभ लेना चाहिए, हमें अच्छा चिंतन और सृजन करना चाहिए।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए जीवन का सत्य कैसे मालूम हो सकता है?
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